चंद्रयान-3 की लैंडिंग का वक्त अब नज़दीक आ रहा है. इसरो ने अभी बुधवार यानी 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट का समय तय किया है. हालांकि हालात को देखते हुए इसकी तारीख बदली जा सकती है और लैंडिंग को 27 अगस्त तक बढ़ाया जा सकता है, ये सब लैंडिंग के तय समय से दो घंटे पहले की परिस्थिति पर निर्भर करेगा. लेकिन ISRO के लिए असली लड़ाई सिर्फ सॉफ्ट लैंडिंग ही नहीं है, बल्कि चांद की सतह पर पहुंचने के बाद विक्रम और प्रज्ञान की जोड़ी क्या कमाल करती है, इसपर भी दुनिया की निगाहें हैं.
असली लड़ाई लैंडिंग के बाद…
23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर अगर चंद्रयान-3 सही तरीके से चांद पर लैंड हो जाता है, तब वह अपना काम शुरू कर देगा. मिशन का विक्रम लैंडर अभी चांद के काफी करीब है और बुधवार को ही लैंडिंग शुरू करेगा. लैंडर अभी लैंडिंग वाले एरिया की तस्वीरें खींच रहा है, जिसका इसरो अध्ययन कर रहा है. एक बार जब विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक लैंड हो जाता है, तब अगले 14 दिन तक एक अहम लड़ाई लड़नी होगी.
विक्रम लैंडर से निकलने वाले प्रज्ञान रोवर की उम्र कुल 14 दिन है, जो चांद के लिए एक दिन के बराबर होगा. इस दौरान लैंडर पर लगे 3 और रोवर पर लगे 2 पे-लोड एक्टिव होंगे जो मिशन के दौरान अपना काम करेंगे. सभी का अपना एक मिशन है, जिसमें प्लाज़मा सर्फेस को जांचना, थर्मल प्रॉपर्टी की जांच, लैंडिंग साइट को परखना शामिल है, इनके अलावा प्रज्ञान के पे-लोड चांद की मिट्टी, पत्थर की जांच करेंगे और अन्य चीज़ों को परखेंगे.
जब विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा, उसके कुछ देर बाद ही एक साइड से वह खुलेगा और पटरी बनाएगा इसी से प्रज्ञान रोवर चांद पर आएगा. प्रज्ञान रोवर यहां 1 सेमी. प्रति सेकंड की स्पीड से आगे बढ़ेगा, इस दौरान उसके पहिये पर लगा इसरो का लोगो चांद पर छपेगा और तिरंगा लहरा रहा होगा. प्रज्ञान के काम करने की उम्र 14 दिन है, वह अपना सारा डाटा विक्रम लैंडर को दे रहा होगा और वहां से डाटा सीधा पृथ्वी पर आ रहा होगा.
क्या होगा चमत्कार…?
अभी के परिस्थिति के हिसाब से प्रज्ञान सिर्फ एक लूनर डे यानी 14 दिन तक एक्टिव रहेगा. क्योंकि ये चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर रहे हैं, ऐसे में इसके रिचार्ज होने की उम्मीद कम है. हालांकि, इसरो को भरोसा है कि प्रज्ञान और विक्रम एक अतिरिक्त लूनर डे तक काम कर सकते हैं, वहां उन्हें सूरज से मदद मिल सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसरो के मिशन की ये बड़ी कामयाबी होगी और चांद से अतिरिक्त डाटा भारत तक आ पाएगा.
बुधवार शाम 5 बजकर 20 मिनट पर इसरो द्वारा विक्रम लैंडर की लैंडिंग का लाइव प्रसारण शुरू कर दिया जाएगा. रूस का लूना-25 पहले ही क्रैश कर चुका है, ऐसे में अब पूरी दुनिया की उम्मीद हिन्दुस्तान से है. क्योंकि अगर चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग में सफल होता है, तब भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो चांद के साउथ पोल पर उतरा है.
बता दें कि बीते ही दिन चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 से संपर्क किया है, दोनों अब एक-दूसरे से डाटा शेयर कर रहे हैं. चंद्रयान-2 साल 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था, लेकिन उसका ऑर्बिटर अभी तक काम कर रहा है और यही अब चंद्रयान-3 को मदद पहुंचा रहा है.