एक देश एक चुनाव के लिए बनी कमिटी ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. इस कमिटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं. समिति की सिफारिश है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं. भारत अगर ऐसा कर पाता है तो वह एक साथ चुनाव कराने वाला दुनिया का चौथा देश होगा.
एक साथ चुनाव कराने वाले अन्य तीन देश बेल्जियम, स्वीडन और दक्षिण अफ्रीका हैं. स्वीडन में हर चार साल में आम चुनाव (रिक्सडैग चुनाव) के साथ-साथ काउंटी और नगरपालिका परिषदों के लिए चुनाव होते हैं. स्वीडन में हर चार साल में रिक्सडैग, क्षेत्रीय या काउंटी परिषद विधानसभाओं और नगरपालिका परिषदों के लिए आम चुनाव होते हैं. यहां पर चुनाव आमतौर पर सितंबर में होते हैं.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि स्वीडन में ये सभी चुनाव एक ही दिन होते हैं. स्वीडन में आनुपातिक चुनावी प्रणाली है, जिसका मतलब है कि राजनीतिक दलों को उनके वोट के हिस्से के आधार पर निर्वाचित विधानसभा में सीटें दी जाती हैं.
बेल्जियम में संसद के चुनाव हर पांच साल में होते हैं, जो क्षेत्रीय चुनावों को प्रभावित करते हैं. पड़ोसी मुल्कों की बात करें तो नेपाल के पास 2017 में एक बार राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ कराने का अनुभव है. 21 अगस्त 2017 को नेपाल सरकार ने पूरे देश में एक साथ राष्ट्रीय और राज्य चुनाव कराने का आदेश दिया.
नेपाल ने भी आजमया
2015 में नया संविधान अपनाने के बाद यह नेपाल का पहला चुनाव था. लेकिन नेपाल के चुनाव आयोग ने पूरे देश में ऐसे समवर्ती चुनाव आयोजित करने में होने वाली कठिनाई पर चिंता जताई. इसके बाद सरकार ने एक गैप पीरियड में दो चरणों का चुनाव कराया. नेपाल में चुनाव दो चरण में हुए. पहला चरण 26 नवंबर 2017 को हुआ. उसके बाद उसी वर्ष 7 दिसंबर को दूसरा चरण हुआ.
क्षेत्र के लिहाज से बेल्जियम, नेपाल और स्वीडन छोटे देश हैं और वहां एक साथ चुनाव कराना कोई बड़ी चुनौती नहीं है. विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत क्षेत्रफल के लिहाज से सातवां सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जबकि दक्षिण अफ्रीका 24वें स्थान पर है. दक्षिण अफ्रीका में हर पांच साल में प्रांतीय और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ होते हैं. अफ्रीकी देश में नौ प्रांत हैं.
मतदाताओं को राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानमंडलों के लिए मतदान करने के लिए अलग-अलग मतदान पत्र दिए जाते हैं. दक्षिण अफ्रीका में 400 सांसद चुने जाते हैं. लेकिन नौ प्रांतीय विधानसभाओं की संरचना प्रांत की जनसंख्या के आधार पर 30 से 90 सीटों तक होती है.
कब हुआ था पहला चुनाव?
भारत में पहला चुनाव 1951 में हुआ. स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव 25 अक्टूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच हुआ, जो 100 से अधिक दिनों तक चला. 1957 में 76% राज्यों में और 1962 और 1967 में 67% राज्यों में एक साथ चुनाव हुए. लेकिन 1972 में ये ट्रेंड टूट गया. हालांकि आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ-साथ होते हैं.
भारत में विधानसभाओं और संसद के लिए चुनाव कराने का विचार कोई नया नहीं है. लेकिन हां, चुनौतियां बहुत हैं और अगर भारत वास्तव में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विकल्प चुनता है तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक और अनूठा उदाहरण स्थापित करेगा.