केंद्र सरकार ने लोकसभा में दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवाओं से जुड़ा बिल पेश कर दिया है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इसे पेश किया है. इस पर चर्चा कल होगी. वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि ये बिल राज्य सरकार के अधिकारों पर अतिक्रमण करता है. ये संघीय ढांचे के खिलाफ है. ये उसकी कब्रगाह बनेगा. ये बिल संविधान का उल्लंघन है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हमारे संविधान में कानून बनाने का पूरा अधिकार दिया है. कोर्ट ने भी कानून बनाने से नहीं रोका है. सारे विरोध राजनीतिक हैं.
बिल के खिलाफ लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष की तरफ से लगातार नारेबाजी हुई. इसके बाद लोकसभा को स्थगित कर दिया गया. लोकसभा स्पीकर ने हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों को चेताया कि उन पर कार्रवाई हो सकती है.
इसके अलावा AIMIM सांसद असदुद्दीन औवेसी ने भी इस बिल का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि ये चेस और लूडो का खेल है. ये संविधान का उल्लंघन है. कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसके विरोध में कहा कि दिल्ली सर्विस बिल पूरी तरह से संघीय विरोधी और अलोकतांत्रिक है. हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी कहा कि बिल पूरी तरह से गैरकानूनी है.
इस बीच केंद्र सरकार पर इस बिल पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजेडी का साथ मिल गया है. बीजेडी के पिनाकी मिश्रा ने बिल को पेश करने का समर्थन किया. बीजेडी दोनों सदनों में दिल्ली सेवा बिल के समर्थन में वोट डालेगी. कहा जा सकता है कि बीजेडी के समर्थन के बाद दिल्ली सेवा बिल का राज्यसभा में पारित होना पक्का हुआ. दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में अब कम से कम 128 वोट पक्के हुए. लोकसभा में बीजेडी के 12 सांसद हैं तो वहीं राज्यसभा में पार्टी के 9 सांसद हैं. YSRCP पहले ही सरकार को इस पर समर्थन देने का ऐलान कर चुकी है.
दिल्ली में अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया. उसी अध्यादेश को इस बिल के माध्यम से पास कराया जाएगा. माना जा रहा है कि लोकसभा में सरकार इस बिल को आसानी से पास करा लेगी. वहीं दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि राज्यसभा में इस बिल को रोका जा सकता है. इसके लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का सपोर्ट हासिल कर लिया है. आम आदमी पार्टी का आरोप है कि इस बिल के माध्यम से केंद्र सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छिनकर उपराज्यपाल को दे देगी. इसके बाद दिल्ली में डेमोक्रेसी नहीं बल्कि बाबूक्रेसी चलेगी. सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को अधिकार मिले थे, उन्हें रोकने के लिए केंद्र सरकार ये अध्यादेश लाई थी और अब उसे पास करा रही है.