दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार का संकल्प पत्र पेश किया. शाह ने कहा कि कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया है. लेकिन क्या है आर्टिकल 370 और अनुच्छेद 35ए ? जानिए
क्या है आर्टिकल 370?
जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370) को स्वीकार कर लिया। भारतीय संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत किया गया था। लेकिन इससे करीब एक महीना पहले 17 अक्टूबर, 1949 को आर्टिकल 306ए भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया। ‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ की शर्तों के मुताबिक, आर्टिकल 370 में यह उल्लेख किया गया कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सिवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई
370 से क्या अधिकार मिलते हैं?
अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों के कारण भारत सरकार के बनाए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते हैं। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा भी है। वहां सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता है। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता भी मिलती है। वह भारत का नागरिक होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का भी नागरिक होता है। कुल मिलाकर कहें तो आर्टिल 370 के कारण मामला एक देश में दो रिपब्लिक जैसा हो गया है।
अनुच्छेद 35ए से क्या अधिकार मिलते हैं?
अनुछेद 35ए राज्य विधानसभा को अधिकार देता है कि वो तय करें कि सूबे का स्थायी नागरिक कौन होगा?
35 ए के तहत:-
हर वो शख्स सूबे का स्थायी नागरिक होगा जो 14 मई 1954 से पहले स्टेट सब्जेक्ट है या 10 साल से सूबे में रह रहा हो और कानूनी तरीके से अचल संपत्ति खरीदी हो.
जो स्थायी नागरिक नहीं है, उन्हें कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने इत्यादि का अधिकार नहीं है.
दूसरे सूबे के अस्थाई नागरिकों को स्कॉलरशिप भी नहीं मिल सकती.
यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर राज्य को अधिकार देता है कि कोई महिला अगर किसी दूसरे स्टेट के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी कश्मीरी नागरिकता छीन ली जाए. हालांकि, साल 2002 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक शादी करने वाली महिला की नागरिकता खत्म नहीं की जाएगी, लेकिन उनके होने वाले बच्चों को यह अधिकार नहीं मिलेगा.
35ए के हटने से क्या बदल जाएगा?
देश के किसी हिस्से का नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है यानि वहां बस सकता है.
देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक बन सकता है.
स्थाई नागरिक बनने का मतलब हुआ कि वो निवेश कर सकेगा, कारोबार कर सकेगा.
जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है.
दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने महिला का पर्सनल लॉ के तहत अचल संपत्ति में हक मिलना शुरू हो जाएगा.
यहां ये बात ध्यान रखने की जरूरत है कि जमीन पर स्थाई नागरिकों का हक 1954 से नहीं, बल्कि इसकी जड़ें 1846 के अमृतसर संधि से जा लगती हैं.