दिल्ली/भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) की कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कांग्रेस के असंतुष्ट नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scinidia) के पार्टी से इस्तीफे के बाद एक-एक करके 20 विधायकों ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया दिया. अब बड़ा सवाल यह निकल कर आ रह है कि क्या राज्य में कांग्रेस की सरकार बची रह पाएगी? आपको बता दें 230 विधानसभा क्षेत्रों वाली मध्य प्रदेश की विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी के पास 107 विधायक हैं. इसके साथ ही 4 निर्दलीय, सपा के एक और बसपा के भी दो विधायक हैं. वहीं विधानसभा की दो सीटें विधायकों के निधन के चलते खाली हैं.
सिंधिया के इस्तीफा देने के बाद समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस के 20 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिसाहू लाल भी शामिल हैं. फिलहाल 228 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास अपने 114 विधायकों समेत 7 अन्य का समर्थन हासिल है, ऐसे में उनके पास 121 विधायक हैं. वहीं अगर इन इस्तीफा देने वाले 20 विधायकों की संख्या को विधासनभा की कुल सीटों में से घटा दें तो यह घटकर 208 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 105 सीटों की जरूरत होगी.
कौन हैं ज्यादा मजबूत?
अगर कांग्रेस के विधायकों की संख्या से इस्तीफा देने वाले विधायकों को घटा दें तो पार्टी के पास कुल 94 विधायक ही रह जाएंगे और अगर सात अन्य को जोड़ें तो कुल विधायकों की संख्या 101 हो जाएगी. वहीं बात भाजपा की करें तो उनके अपने ही 107 विधायक हैं ऐसे में उसे ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं होगी. संख्याओं की गणित की ओर देखें तो कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी मजबूत है.
इसके साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आखिर निर्दलीय, सपा और बसपा के कुल सात विधायक क्या निर्णय लेंगे यह भी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान संख्या किस ओर मजबूत होगी. फिलहाल कांग्रेस के हर नेता की जुबां पर ‘सरकार स्थिर है’ के बोल और चेहरे पर आत्मविश्वास दिख रहा है.