जहां चुनाव, वहां रोजगार… उपचुनाव जीतने के लिए योगी सरकार का ये कैसा फॉर्मूला?

उत्तर प्रदेश में इन दिनों नौकरियों की बहार है. सरकारी नौकरियों के लिए पेपर हो रहे हैं तो प्राइवेट नौकरियों के लिए रोजगार मेले लग रहे हैं, लेकिन सशर्त. अब आप पूछेंगे कि प्राइवेट नौकरी के लिए शर्त क्या है? तो जवाब है कि आपके यहां उपचुनाव होने वाला होना चाहिए. दरअसल, सरकार ने बीते एक महीने के अंदर तीन जगह रोजगार मेले लगवाए. सभी मेले उस इलाके में लगे, जहां पर उपचुनाव होने वाला है. इसमें मिल्कीपुर, कटेहरी और मीरापुर शामिल है. अब 27 अगस्त को मैनपुरी के करहल, 28 अगस्त को अलीगढ़ के खैर, एक सितंबर को मिर्जापुर के मझवां और 2 सितंबर को मुरादाबाद के कुंदरकी में रोजगार मेला लगेगा. सरकार का दावा है कि करहल और मझवां में 5-5 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा, जबकि खैर और कुंदरकी में 10-10 हजार युवाओं को नौकरी मिलेगी. इन रोजगार मेलों में 50 से अधिक मल्टीनेशनल कंपनियां हिस्सा लेंगी और साक्षात्कार यानी इंटरव्यू के बाद हाथों-हाथ जॉब ऑफर देंगी.

यूपी के लिए बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा
अब सवाल उठता है कि आखिर सरकार को प्राइवेट नौकरियां बांटने का दांव क्यों चलना पड़ा? इस सवाल का जवाब लोकसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है. जिस यूपी में बीजेपी अपने आपको 70 से अधिक सीट जीतने का दावा ठोंक रही थी, वहां पर उसे महज 36 सीटों पर जीत हासिल हुई. बीजेपी के इस शर्मनाक प्रदर्शन के पीछे एक वजह बेरोजगारी भी थी. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूरे चुनाव के दौरान बेरोजगारी को मुद्दा बनाया और इसे भुनाया भी. यूपी में 38 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं. अपंजीकृत का आंकड़ा अगर जोड़ लिया जाए तो संख्या करोड़ के पास पहुंच जाती है. ऐसे में यूपी के लिए बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा बन गया है. खास तौर पर उस वक्त जब सरकारी पद खाली पड़े हो और नियुक्ति न निकल रही हो. अगर केवल शिक्षा विभाग की बात करें तो यहां 50 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं निकाली जा रही है. बेरोजगारी का जवाब युवाओं ने बैलेट के जरिए लोकसभा चुनाव में दिया था.

अगले हफ्ते चार सीटों पर रोजगार मेला लगवाया जाएगा
लोकसभा चुनाव में युवाओं का बीजेपी से मोहभंग हुआ तो यूपी सरकार हरकत में आ गई. आनन-फानन में सभी विभागों को अपने यहां रिक्त पद भरने का आदेश दे दिया गया. साथ ही पुलिस भर्ती परीक्षा फिर से कराई जा रही है. इसके साथ ही सरकार ने रोजगार मेले का आयोजन भी शुरू कर दिया है. हालांकि रोजगार मेले अभी उन्हीं इलाकों में लगाए जा रहे हैं, जहां पर उपचुनाव होने वाले हैं. यानी जहां पर बीजेपी की साख एक बार फिर दांव पर लगने वाली है. यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. इसमें अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुरादाबाद की कुंदरकी, मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर और मिर्जापुर की मझवां सीट शामिल है. अभी तक सरकार ने तीन सीटों पर रोजगार मेले लगवाए हैं और अगले हफ्ते चार सीटों पर रोजगार मेला लगवाया जाएगा.

उपचुनाव CM योगी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
इन रोजगार मेलों की कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हाथों में ली है. वह खुद हर रोजगार मेले में जा रहे हैं और जॉब ऑफर पाए युवाओं को अपने हाथों से सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इन रोजगार मेलों के जरिए सीएम योगी को उम्मीद है कि वह बेरोजगारी को लेकर विपक्ष के बनाए माहौल को खत्म कर पाएंगे और उपचुनाव में लोकसभा चुनाव का बदला ले पाएंगे. वैसे भी सीएम योगी ने 10 सीटों के उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है.

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