दिल्ली नगर निगम चुनाव (एमसीडी) के परिणाम आ चुके हैं, लेकिन नियमों की बाधा के चलते महापौर की ताजपोशी के लिए अभी अप्रैल तक इंतजार करना पड़ सकता है. मौजूदा कानून के तहत ऐसा ही प्रावधान है. इसके लिए निगम के एक्ट में बदलाव करना होगा या फिर गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी. यानी फिलहाल महापौर चुनाव को लेकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में है. इस पर केंद्र सरकार ही फैसला लेगी.
दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 35 में स्पष्ट है कि महापौर और उपमहापौर का चुनाव हर वर्ष होगा, जो कि एक अप्रैल से शुरू होगा. ऐसे में तो निर्वाचित होकर आए सदस्यों की पहली बैठक अप्रैल में ही होना संभव है. तीनों निगमों को एक करने के बाद एक्ट में बदलाव किया गया है. एक्ट को लागू करने में अगर कोई भी दिक्कत आती है तो केंद्र सरकार एक आदेश निकालकर उसे दूर कर सकती है.
इसके लिए एक्ट में संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी. दो साल तक केंद्र सरकार के पास यह शक्ति है. हालांकि, इन आदेशों को लोकसभा और राज्यसभा में पेश करना होगा और संयोग से सदन की कार्यवाही भी चल रही है. मौजूदा कानून के मुताबिक, राज्य चुनाव आयोग जीते हुए प्रत्याशियों की अधिसूचना जारी करके निगम आयुक्त को भेजता है.
उपराज्यपाल को लिखेंगे लेटर!
इस सूची के साथ निगम सचिव एक पत्र उपराज्यपाल को लिखेंगे. इसमें सदस्यों की बैठक की तारीख तय करने और महापौर का चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने का अनुरोध किया जाएगा. इसके बाद उपराज्यपाल एक्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार से सलाह लेकर आगे का फैसला लेकर चुनाव कराया जाएगा.
मेयर के चुनाव में ये लोग करते हैं मतदान
दिल्ली नगर निगम के महापौर का चुनाव करने के लिए चुने गए 250 पार्षद वोट करते हैं. इसके साथ ही 13 विधायक, सात दिल्ली के लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सदस्य मतदान करतें हैं. 70 विधानसभा में से 68 विधानसभा के पार्षद ही इसमें भाग लेंगे, क्योंकि नई दिल्ली और दिल्ली कैंट में दो-दो अलग-अलग परिषद हैं.
उपराज्यपाल जब भी सदन बुलाने की तारीख बताएंगे, उससे कम से कम 10 दिन पहले ही निगम सचिव कार्यालय महापौर और उपमहापौर पद के प्रत्याशियों के नामांकन की तारीखों की घोषणा करेगा.