संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू होने वाला है. नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से पहले इस्तीफा सौंप दिया था. दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे खरगे ने पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए एक व्यक्ति एक पद के उदयपुर संकल्प शिविर में तय सिद्धान्त का पालन करते हुए इस्तीफा दे दिया था. खरगे ने इस्तीफा उस समय की अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा था, लेकिन ये इस्तीफा अब तक राज्यसभा के सभापति को नहीं भेजा गया.
अब कांग्रेस की संसद सत्र में रणनीति बनाने के लिए कल संसद की रणनीतिक समिति की बैठक पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता में पार्टी मुख्यालय में होगी. विपक्ष के नेता के चयन की सुगबुगाहट शुरू होते ही उत्तर भारतीय नेताओं ने दावा ठोकना शुरू कर दिया था.
कांग्रेस के इन नेताओं ने की है दावेदारी
दरअसल, नए नेता के लिए पी. चिदम्बरम, जयराम रमेश, के सी वेणुगोपाल जैसे दक्षिण भारतीय सांसदों के नाम आगे आने से उत्तर भारत के नेता मसलन दिग्विजय सिंह, राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी इस पद के दावेदार हैं, लेकिन इन नेताओं के करीबी तर्क देते हैं कि कांग्रेस संगठन के सर्वोच्च पद पर कर्नाटक के खरगे हैं, उसके बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद संगठन महासचिव के पद पर केरल के वेणुगोपाल हैं, ये दोनों दक्षिण भारत से आते हैं. यही नहीं राहुल गांधी भी केरल से सांसद हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर पश्चिम बंगाल से हैं. यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास भी दक्षिण भारत से हैं. फैसला सोनिया गांधी को करना है कि वह यथास्थिति यानी खरगे को ही नेता विपक्ष के पद पर कायम रखती हैं या एक व्यक्ति एक पद के मुताबिक किसी नए को ये जिम्मेदारी दी जाती है.
वन लीडर वन पोस्ट के आधार पर गहलोत का मांगा था इस्तीफा
पार्टी सूत्र कहते हैं कि इसी मुद्दे यानी एक व्यक्ति एक पद पर अशोक गहलोत से अध्यक्ष बनने से पहले इस्तीफा मांगा गया था, जिसकी वजह से बवाल हुआ, अब सोनिया गांधी के पाले में गेंद है, लेकिन जिस तरह से देरी हो रही है, सत्र करीब आ रहा है, तो खरगे के नाम पर यथास्थिति बने रहने की संभावनाएं बढ़ती जा रहीं हैं, जिससे एक अनार सौ बीमार से फिलहाल छुटकारा मिल सके. हालांकि, माना जा रहा है कि, कल होने वाली बैठक में इसको लेकर अंतिम फैसला सामने आ जाएगा.