शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को दो जून को सरेंडर करना है. सुप्रीम कोर्ट ने उनको लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी. केजरीवाल ने बुधवार को कहा है कि वो जेल से ही सरकार चलाने की इजाजत के लिए अदालत का रुख करेंगे. अगर इस्तीफा दिया तो भाजपा की सरकार को विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाने की खुली छूट मिल जाएगी. ये लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक होगा.
आम आदमी पार्टी संयोजक केजरीवाल को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. भाजपा इसके बाद से मुख्यमंत्री पद से उनके इस्तीफे की मांग कर रही है. बीजेपी पर हमलावर केजरीवाल ने कहा, आयकर आयुक्त के पद से इस्तीफा देने के बाद मैंने दिल्ली की मलिन बस्तियों में काम किया. 2013 में सीएम बनने के बाद 49 दिन में मैंने पद छोड़ा तब किसी ने इस्तीफा नहीं मांगा था. मैंने कुर्सी ठुकराई थी. मैं सीएम पद से इस्तीफा नहीं दूंगा क्योंकि यह मेरे संघर्ष का हिस्सा है.
‘मुझे गिरफ्तार कराया ताकि इस्तीफा दे दूं’
केजरीवाल ने कहा कि हमारी पार्टी को 2015 के विधानसभा चुनाव में 67 फिर 2020 के चुनाव में 62 सीटें मिली थीं. जब प्रधानमंत्री मोदी ने देखा कि दिल्ली में हमें हराया नहीं जा सकता, तब उन्होंने मुझे गिरफ्तार करने की साजिश रची. उन्होंने मुझे गिरफ्तार कराया ताकि इस्तीफा दे दूं और सरकार गिराई जा सके. मगर, उनकी साजिश को सफल नहीं होने दूंगा. आबकारी नीति से जुड़ा मामला फर्जी है.
‘भाजपा में चला जाता और पाप धुल जाते’
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, अगर मैंने कुछ गलत किया होता और पैसा लिया होता तो अंदर से कमजोर हो जाता. शायद भाजपा में भी चला जाता और मेरे सारे पाप धुल जाते. मैं अदालत का रुख करूंगा और कहूंगा कि मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जेल में ही सुविधा दी जाए.
‘चवन्नी भी मिली? मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं’
केजरीवाल ने कहा कि पहले भाजपा कह रही थी कि आबकारी घोटाला 100 करोड़ रुपये का है. मगर, पिछले कुछ सप्ताह से कह रही है कि 1,100 करोड़ रुपये का घोटाला है. यह पैसा आखिर कहां चला गया? क्या चवन्नी भी बरामद हुई है? कोई आभूषण मिला है? सच तो ये है कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है. गिरफ्तार करने के लिए बनाया गया फर्जी मामला है.