नहीं लगेगा पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन, केंद्र सरकार ने किया इंकार…

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी सियासी जंग के बावजूद फिलहाल ममता सरकार की बर्खास्तगी के आसार नहीं हैं। मोदी सरकार नहीं चाहती कि राष्ट्रपति शासन के कारण ममता खुद को शहीद बताकर सहानुभूति हासिल करने में सफल हों। भाजपा की योजना तृणमूल से जुड़े छोटे-बड़े नेताओं को अपने पाले में कर पार्टी के जमीनी आधार खो देने का संदेश देने की है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा चरम पर है। तृणमूल और भाजपा दोनों एक दूसरे पर हिंसा की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से पश्चिम बंगाल के लिए एडवाइजरी जारी करने और इसके अगले ही दिन राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी की पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद केंद्र की ओर से सख्त कदम उठाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

राज्य की रणनीति से जुड़े भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, लोकसभा के नतीजे आने के साथ ही साफ संदेश गया है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस गहरे संकट में है। बुरी तरह चिढ़ी ममता कई गलतियां कर रही हैं, जिसका तृणमूल को और नुकसान हो रहा है। नतीजे आने के बाद बड़ी संख्या में तृणमूल कार्यकर्ता और नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, इससे यह धारणा बन रही है कि राज्य की राजनीति से तृणमूल की चला चली की बेला है।

ऐसे में जब तृणमूल खुद जमीनी स्तर पर कमजोर हो रही है, तब राष्ट्रपति शासन लगाने से ममता जनता की सहानुभूति हासिल कर सकती हैं। जाहिर तौर पर भाजपा नहीं चाहती कि सियासी मोर्चे पर पार्टी के दांव से बुरी तरह घिर चुकी ममता को राष्ट्रपति शासन के रूप में एक बड़ा सियासी मुद्दा हाथ लग जाए.

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