एक तो बेटे की मौत का गम, दूसरा उसको अंतिम बार न देख पाने की पीड़ा, 85 साल की बुजुर्ग मां के बहते आंसू जिसने भी देखे उसका दिल पसीज गया. ये कहानी है उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से चौक कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले युवक मोहम्मद आलम के मां की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सउदी अरब के जेद्दा में काम के लिए गए आलम की मौत 30 मार्च 2022 को हो गई थी.
वहीं उसके मौत की खबर अगस्त महीने में भारतीय दूतावास से मिली थी. इसके बाद तमाम कागजी कार्रवाई और लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सोमवार शाम को जेद्दा से आलम का शव14 महीने बाद घर पहुंचा.
मुआवजे के प्रस्ताव को ठुकराया
मार्च 2022 में जब 35 वर्षीय मोहम्मद आलम का जेद्दा में मौत हुई तो उसकी 85 वर्षीय मां की बस एक ही इच्छा थी कि वो अपने बेटे को अंतिम बार देख ले. इसके उसने अपने मालिक के दफनाने और मुआवज़े के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया.
अंतिम अलविदा के लिए तड़पती रही मां
मां मरियम का कहना था कि मैं बस अपने बेटे को अंतिम अलविदा देना चाहती थी. फिलहाल आलम के शरीर को जेद्दा से लखनऊ लाया गया और एंबुलेंस में सोमवार को शाहजहांपुर पहुंचा दिया गया. हालांकि आलम की पत्नी उसको दफनाने के लिए सहमत हो गई थी, लेकिन मां मरियम ने राजनेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की, उन्हें बताया कि वह चाहती है कि उसके बेटे का अंतिम संस्कार भारत में किया जाए.
2013 में सउदी गया था आलम
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक मोहम्मद आलम के बड़े भाई आफताब ने बताया कि वह 2013 में सउदी अरब गया था. वापस लौटा लेकिन कोरोना के बाद वह वापस जेद्दा चला गया. वहीं 30 मार्च 2022 को मोहम्मद की मौत हो गई. जिसकी जानकारी 24 अगस्त को दूतावास से मिली.
14 महीने बाद वापस आया शव
उन्होंने बताया कि मोहम्मद का शव 14 महीने तक जेद्दा के एक अस्पताल पड़ा रहा. लेकिन परिवार ने शव को लाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी. सउदी अरब में रहने वाले लोगों ने कागजी कार्रवाई में काफी मदद की. उन्होंने बताया कि फिलहाल मोहम्मद को मेहमानशाह कब्रिस्तान में दफना दिया गया.