उत्तर प्रदेश : शादी-ब्याह, पार्टियों और त्योहारों पर तेज आवाज में डीजे बजाकर जश्न मनाना अब दुश्वार हो जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है बच्चों, बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों सहित मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण बड़ा खतरा है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज के सुशील चंद्र श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसलिए सभी धार्मिक त्योहारों से पहले जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बैठक कर कानून का पालन सुनिश्चित कराएं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जाए। कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी सभी संबंधित थानाध्यक्षों की होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह प्रदेश के सभी शहरी इलाकों को औद्योगिक, व्यवसायिक और रिहायशी या साइलेन्स जोन के रूप में श्रेणीबद्ध करें। कोर्ट ने जिलाधिकारी को ध्वनि प्रदूषण की शिकायत सुनने वाले अधिकारी का फोन नंबर सहित अन्य ब्यौरा सार्वजनिक स्थलों पर सूचना बोर्ड लगाकर देने का निर्देश दिया है। शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण की शिकायत कर सकता है। हर शिकायत रजिस्टर पर दर्ज की जाए, साथ ही इस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी दर्ज हो।
कोर्ट ने कहा है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर डीजे या अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्र बंद कराए और सक्षम अधिकारी को रिपोर्ट करे ताकि दोषी पर कार्रवाई की जा सके। कोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाए। अनाम शिकायत भी दर्ज हो। एसएमएस, व्हाट्सएप, ई-मेल आदि माध्यमों से या फोन से मौखिक मिली शिकायत भी दर्ज की जाए और संबंधित अधिकारी को सूचित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि आदेश की अवहेलना होने पर कोई भी व्यक्ति कोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर कर सकता है। कार्रवाई न करने के लिए संबंधित थाना प्रभारी जवाबदेह माने जाएंगे। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों को आदेश का पालन करने का निर्देश जारी करने के लिए कहा है।