गाजियाबाद : बिना सेफ्टी किट सीवर में उतरे 5 मजदूरों की गुरुवार को मौत हो गई। इस हादसे में रोजी-रोटी की तलाश में समस्तीपुर (बिहार) से गाजियाबाद आए विजय राय, संदीप, होरिल, दामोदर और शिवकुमार ने जान गंवा दी। ये लोग 4 महीने पहले गाजियाबाद आए थे। विजय को कृष्णाकुंज सद्दीकनगर में सीवर लाइन डालने का ठेका मिला था। अन्य चारों उसी की साइट पर मजदूरी करते थे। पैसों की दिक्कत थी, इसलिए सभी किराया बचाने के लिए बंद हो चुकी चाबी बनाने वाली मस्कॉट फैक्ट्री में रहते थे। इस भीषण गर्मी में बिना पंखे के जमीन पर सोते थे, ताकि एक-एक पैसा जोड़कर परिवार वालों के लिए कुछ कर सकें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कंपनी व जल निगम की लापरवाही से इनकी जिंदगी की डोर ही टूट गई।
इन पांचों के साथ फैक्ट्री में ही रहने वाले बिंदू हादसे के बाद से काफी गमगीन हैं। हादसे के बाद हमने बिंदू से बात की तो वह बात करते करते रोने लगे। उन्होंने बताया कि इस प्रॉजेक्ट पर काम करने के लिए समस्तीपुर से 40 और लेबर आए थे। रक्षाबंधन के मौके पर ये सभी समस्तीपुर चले गए थे। मैं, संदीप, होरिल, दामोदर और शिवकुमार भी राखी पर घर जाने वाले थे, लेकिन ठेकेदार ने पेमेंट नहीं दी और पैसे न होने की वजह से वे लोग घर नहीं जा सके। ठेकेदार ने सीवर लाइन जोड़ने का काम खत्म होने के बाद पेमेंट देने की बात कही थी।
बिंदू ने बताया कि हादसे में जान गंवाने वाले दामोदर के माता-पिता का देहांत हो चुका है। घर पर पत्नी और पांच बेटियां हैं। बेटियों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए वह गाजियाबाद काम करने आ गया था। 4 महीने से लगातार काम कर रहा था।
कृष्णाकुंज सद्दीकनगर में सीवर में बिना सेफ्टी उपकरण के उतरे ठेकेदार समेत 5 मजदूरों की मौत ने एक बार फिर प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही उजागर कर दी है। सुरक्षा मानकों का पालन न करने की वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया, लेकिन संबंधित विभाग के अफसर अपनी गलत मानने की जगह उल्टा यह कह रहे हैं कि इस काम के लिए सुरक्षा उपकरणों की जरूरत नहीं थी। यही नहीं जिम्मेदार विभाग होने के बावजूद जल निगम का कोई सीनियर अफसर घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। इस बात पर डीएम अजय शंकर पांडे ने भी नाराजगी जताई।