निर्वाणी अखाड़ा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा लीगल नोटिस, जानिए क्या है वजह

अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की तैयारियां अंतिम चरण में है. इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर एक बार फिर विवाद हो गया है. निर्वाणी छावनी के महंत धर्मदास ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लीगल नोटिस भेजा है. नोटिस में बताया गया है कि निर्वाणी अखाड़े का राम जन्म भूमि विवाद की कानूनी लड़ाई में अहम रोल है.

निर्वाणी अखाडे़ ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में जगह न मिलने पर नाराजगी जताई है. महंत धर्मदास ने ट्रस्ट में निर्वाणी अखाड़े को शामिल करने की मांग की है. नोटिस में महंत धर्मदास ने कहा कि 2 महीने के भीतर उन्हें नए राम मंदिर में पुजारी की भूमिका में लिए जाने का फैसला लिया जाए.

निर्वाणी अखाडे़ के महंत धर्मदाल ने कहा कि अगर उनकी मांग पर विचार नहीं किया जाता है तो वह आगे कानूनी कार्रवाई करेंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई के दौरान निर्वाणी अखाड़ा भी पैरोंकारों में शामिल था. लिहाजा धर्मदास ने राम मंदिर के पुजारी की गद्दी अपना दावा किया है.

क्या है श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट

अयोध्या जमीन विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया था. इसके बाद मोदी सरकार की ओर से 15 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन किया गया था. इस ट्रस्ट का नाम ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ रखा गया है. इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी राम मंदिर निर्माण और उसकी सारी व्यवस्थाओं को देखने की होगी.

कौन-कौन है ट्रस्ट में

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास हैं, जबकि चंपत राय को महासचिव बनाया गया है. नृपेंद्र मिश्रा को भवन निर्माण समिति का चेयरमैन नियुक्त किया गया है. गोविंद देव गिरी को ट्रस्ट का कोषाध्यक्ष बनाया गया है. अयोध्या विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे 92 वर्षीय के परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है.

परासरन के अलावा इस ट्रस्ट में एक शंकराचार्य समेत पांच सदस्य धर्मगुरु ट्रस्ट में शामिल हैं. साथ ही अयोध्या के पूर्व शाही परिवार के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्रा, अयोध्या के ही होम्योपैथी डॉक्टर अनिल मिश्रा और कलेक्टर को ट्रस्टी बनाया गया है. ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी स्थान दिया गया है.

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