दिल्ली: फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में मैरीग्नेक वायुसेना अड्डे से सोमवार को रवाना हुए पांच राफेल विमानों का पहला जत्था आज अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचेगा. ये विमान आज दोपहर एक से तीन बजे के बीच अंबाला पहुंचेंगे. पांचों लड़ाकू विमान करीब 48 घंटे बाद भारत पहुंच रहे हैं. ऐसे में सबके जहन में सवाल है कि राफेल की 1389 प्रति घंटा की स्पीड होने के बावजूद उन्हें भारत आने में करीब दो दिन क्यों लगे? जानिए इस सवाल का जवाब.
अंबाला आने में क्यों लगा इतना वक्त?
दरअसल ये विमान फ्रांस से सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आ रहे है. राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस के मैरिग्नैक से अंबाला आने में ज्यादा वक्त इसलिए लगा है, क्योंकि फाइटर जेट्स हालांकि सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरते हैं, लेकिन उनमें फ्यूल कम होता है और वे ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हैं. राफेल का फ्लाईट रेडियस करीब एक हजार किलोमीटर का है (यानि कुल दो हजार किलोमीटर एक बार में उड़ पाएंगे). इसीलिए उनके साथ फ्रांसीसी फ्यूल टैंकर भी साथ में आए हैं, ताकि आसमान में ही रिफ्यूलिंग की जा सके. यही वजह है कि यूएई के अल-दफ्रा बेस पर राफेल विमानों ने हॉल्ट किया था.
जेट को पूरी तरह उड़ान भरने के लिए तैयार करने में लगते हैं 3-4 घंटे
ये नए राफेल लड़ाकू विमान हैं. इसलिए उनकी सर्विसिंग और मेंटनेंस को जांच-परखना भी बेहद जरूरी है. मैरिग्नैक से अल-दफ्रा तक सात घंटे की उड़ान एक फाइटर पायलट के लिए बेहद लंबी उड़ान होती है. लड़ाकू विमान के कॉकपिट में पैर तक सीधे नहीं होते हैं. इसलिए पायलट्स किसी भी लंबी उड़ान से पहले और बाद में पूरा रेस्ट दिया जाता है. माना जाता है कि एक जेट को पूरी तरह उड़ान भरने के लिए तैयार करने में 3-4 घंटे लगते हैं.
राफेल की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा
24,500 किलोग्राम वजन वाला राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है. एक बार उड़ान भरने के बाद 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है.