गुरुग्राम: मिलेनियम सिटी में बड़े स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना लोगों की शान रहा है, लेकिन मार्च से अब तक लाखों रुपये की फीस भरने के लिए लोग अब ज्वेलरी बेचने और एफडी तुड़वाने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं। दरअसल अब स्कूलों ने अभिभावकों पर फीस का दबाव बनाने के लिए अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं और बोर्ड की परीक्षाओं का हवाला दिया है। फीस न भरने पर निजी स्कूल परीक्षाओं में नहीं बिठाने की चेतावनी दे रहे हैं।
गुरुग्राम अभिभावक संगठन के सदस्य हिमांशु शर्मा का कहना है कि कई अभिभावकों ने फीस भरने के लिए अपनी एफडी तुड़वाई है। यहां तक कि ज्वेलरी भी गिरवी रखी हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक अभिभावक ने बताया कि उनका बेटा निजी स्कूल में पढ़ता है। अब तक 70 हजार रुपये फीस हो चुकी है ऐसे में उन्होंने ज्वेलरी गिरवी रखी है। अभिभावक रमन दहिया ने बताया कि अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपनी एफडी तुड़वाई है। स्कूल ने बच्चों की फीस भरने के बाद ही अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में बैठने दिया है।
निदेशालयों के आदेशों की हो रही अवहेलना
निदेशालय के आदेशानुसार अभी अभिभावकों से ट्रांसपोर्ट फीस नहीं ली जा सकती है। वहीं जो अभिभावक फीस जमा करने में असमर्थ हैं उनकी असमर्थता को समझते हुए कुछ दिनों का मौका दिया जा सकता है। अभिभावक देव कुमार ने बताया कि स्कूल अभिभावकों के साथ छात्रों पर भी दबाव बना रहे हैं। इसमें उनसे ट्रांसपोर्ट फीस सहित सभी अन्य शुल्क को जोड़कर फीस मांगी जा रही है। इस दौरान फीस एंड फंड कमेटी और शिक्षा विभाग कोई मदद नहीं कर रहा है। अन्य अभिभावक रामकेश जांगड़ा ने बताया कि उनसे वार्षिक फीस, प्रवेश शुल्क और हर वर्ष वृद्धि फीस की भी मांग की गई है। यह बजट लाखों के पार जा रहा है। नौकरियों के अभाव में सिर्फ ट्यूशन फीस भी अभिभावकों के लिए भारी है।
43,293 छात्रों ने छोड़े निजी स्कूल
जुलाई तक प्रदेश में 43,293 छात्र निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं, जिसमें से 2453 स्कूल गुरुग्राम से हैं। फरीदाबाद से 2074 छात्र निजी स्कूल छोड़ चुके हैं, जिसके बाद यह आंकड़ा और भी बढ़ा है। निदेशालय जल्द ही दूसरी रिपोर्ट भी पेश करेगा। गुरुग्राम में बड़ी संख्या ऐसे अभिभावकों की भी है, जो अपने छात्रों को घर पर बिठा चुके हैं।