नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट ने एक एनआरआई (NRI) के हाई वैल्यू बैंक खाते से अवैध तरीके से इंटरनेट बैंकिंग के जरिये हैकिंग कर नगदी निकालने वाले जालसाजों के रैकेट का भंडाफोड़ किया है. हैरानी की बात ये है कि नगदी निकालने के लिए गैंग ने खाते की चेक बुक भी हासिल कर ली थी. गैंग ने केवाईसी में रजिस्टर्ड खाताधारक के अमेरिका के मोबाइल नंबर की तरह एक भारतीय फोन नंबर भी हासिल कर लिया.
इस मामले में एचडीएफसी बैंक के 3 कर्मचारियों सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन लोगों ने एनआरआई के खाते से 5-6 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की थी.
साइबर यूनिट के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक ने शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि एक एनआरआई बैंक खाते में कई अवैध इंटरनेट बैंकिंग प्रयास देखे गए हैं. इसके अलावा, धोखाधड़ी से प्राप्त चेक बुक का उपयोग करके उसी खाते से नकदी निकालने का प्रयास भी किया गया. पहले से पंजीकृत अमेरिकी मोबाइल नंबर के जैसा भारतीय मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिया. एचडीएफसी बैंक ने आगे आरोप लगाया कि खाते की इंटरनेट बैंकिंग तक पहुंचने के सभी 66 प्रयास किए गए.
पुलिस ने केस दर्ज कर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 20 जगहों पर छापेमारी की. जांच के दौरान कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए 12 आरोपियों में से 3 एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी हैं, जो चेक बुक जारी करने, मोबाइल फोन नंबर अपडेट करने में शामिल थे. गिरफ्तार लोगों में आर जयसवाल, जी शर्मा, ए कुमार, ए तोमर, एच यादव, एस एल सिंह, एस तंवर, एन के जाटव, एस सिंह और एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी डी. चौरसिया, एक महिला कर्मचारी शामिल हैं.
आरोपी व्यक्तियों से पूछताछ में पता चला है कि इस गैंग को मालूम चला था कि एनआरआई के खाते में काफी पैसा है और उसमें काफी दिन से कोई लेनदेन नहीं हुआ है. आरोपी आर. जायसवाल, जीशर्मा और ए.सिंघल ने अपने सहयोगियों के साथ खाते से जुड़ी जानकारी जुटाई. एचडीएफसी की एक महिला कर्मचारी की मदद से उन्होंने उस खाते की चेक बुक हासिल कर ली और खाते का कर्ज भी फ्रीज कराया.
जांच से पता चला है कि एचडीएफसी बैंक कर्मचारी को 10 लाख रुपये और 15 लाख रुपये के बीमा बिजनेस का वादा किया गया था. पहले भी इस खाते से पैसे निकालने का प्रयास किया गया था. इसे लेकर ग़ाज़ियाबाद और मोहाली में 2 केस दर्ज थे.
पुलिस ने बताया कि आर जायसवाल के कब्जे में चेक बुक और मोबाइल फोन नम्बर आ गया था. उसने वास्तविक खाताधारक बनकर बैंक को फोन पर सहमति देने के एवज में खाते से निकाले गए कुल नगदी का 50 प्रतिशत हिस्सा देने का लालच देकर दूसरे लोगों को चेक की लीफ दी. एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी डी चौरसिया और ए.सिंह ने केवाईसी से जुड़े फोन नंबर को अपडेट करने का प्रयास किया था. दूसरे सहयोगियों ने राशि नगदी निकलने के लिए खाते की इंटरनेट बैंकिंग में लॉगिन करने की कोशिश की. निकासी के ये सभी प्रयास बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण ही संभव था.