केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ब्यूरो पुलिस रिसर्च एवं डेवलपमेंट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने सार्वजनिक और कार्य स्थलों पर महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा विषय पर कहा कि केंद्र सरकार ने निर्भया फंड में विभिन्न योजनाओं के लिए 9000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इसमें से 4000 करोड़ रुपये से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं.
उन्होंने आगे सुझाव दिया कि यदि बीपीआरएंडडी निर्भया फंड के अंतर्गत कुछ नई परियोजनाओं को शुरू करता है, तो उनका मंत्रालय अगले वित्तीय वर्ष में उन्हें स्वीकार करने और लागू करने के लिए तैयार है. इस अवसर पर बालाजी श्रीवास्तव, महानिदेशक, बीपीआरएंडडी ने महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के प्रति कानूनी कार्रवाईयों को मजबूत करने हेतु सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब एक महिला जिम्मेदारी लेती है, तो वह तब तक आराम नहीं करती जब तक कि वह उसे पूरा न कर ले. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर ब्यूरो पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण है. भारतीय महिला पुलिस की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे अपने साथियों, समाज और संगठन के सामने वे अपने को कमजोर नहीं दिखाना चाहती हैं. महिला पुलिसकर्मी हमेशा अन्य महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित होती हैं और वे उन चुनौतियों को बयां नहीं करती, जिनका सामना करती हैं.
स्मृति ईरानी ने कहा कि वह भारतीय पुलिस महिलाओं के सामने आने वाली दो महत्वपूर्ण चुनौतियों से अवगत हैं और इसे कम करने के लिए बीपीआरएंडडी के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार हैं.
- महिला पुलिस के लिए शिशु गृह सुविधाओं का अभाव: यदि बीपीआरएंडडी चाहे तो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारतीय पुलिस महिलाओं के लिए जिला स्तर पर शिशु गृह की व्यवस्था कर सकता है.
- महिला पुलिसकर्मियों को परामर्श सेवा की व्यवस्था: यदि DG, BPR&D चाहें तो NIMHANS के सहयोग से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे देश में भारतीय महिला पुलिसकर्मियों के लिए परामर्श की व्यवस्था कर सकता है. बीपीआरएंडडी ने देश के लिए विशेष रूप से राज्य सरकारों के लिए कार्यस्थल, समाज और घर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक रोडमैप बनाने का बहुत अच्छा काम किया है. बीपीआरएंडडी के रोडमैप को राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों तक पहुंचाया जाना चाहिए. इसमें मुख्य चुनौती यह है कि रोड मैप सामाजिक स्तर पर प्रचलित नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसे देश भर में पहुंचाने के लिए पहले क्षेत्रीय स्तर पर और फिर राज्य स्तर पर ले जाना होगा. कानून व्यवस्था राज्य का विषय है. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि देश में 704 वन स्टॉप सेंटर और 36 महिला हेल्प लाइन हैं, जिससे 70 लाख महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है. बीपीआरएंडडी के प्रयास और सहयोग से हम इन सहायता केंद्रों में ओर अधिक लोगों को प्रशिक्षित करना चाहते हैं. वह हर जिले में स्कूली छात्राओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना चाहती है. उन्होंने कहा कि हर जिले में, हर पुलिस थाने में एक महिला हेल्प डेस्क होनी चाहिए जो वन स्टॉप सेंटरों के साथ सहयोग करे और इसमें ब्यूरो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए बालाजी श्रीवास्तव, महानिदेशक, बीपीआरएंडडी ने निर्भया कांड के बाद कानूनी अधिनियमन और उनमें हुए संशोधनों की श्रृंखला को याद दिलाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून में अनेक सुधार किए और कुछ नए कानूनों को भी लागू किया जिससे महिलाओं की सुरक्षा पूरी तरह से सुनिश्चित हो सके. महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव ने BPR&D के CDTIs और CAPT के माध्यम से चलाए जा रहे कुछ कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम का भी वर्णन किया, जिनमें अश्लील कंटेंट, महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क, सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग आदि शामिल हैं.
सम्मेलन के सचिव और वरिष्ठ अधिकारी तेजेंदर सिंह लूथरा ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों को विषय-वस्तु से अवगत कराया. सम्मेलन का विषय “Break the Bias” है, जिसका अर्थ है महिलाओं के विकास संबंधी उद्देश्यों के व्यापक स्पेक्ट्रम की प्राप्ति की दिशा में समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना. सभी स्थानों पर महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा को बढ़ाना, विशेष रूप से सार्वजनिक एवं कार्यस्थलों में, एक अनिवार्य अपेक्षा है. ब्यूरो ने महिलाओं से संबंधित अपराधों के लिए पुलिस इन्वेस्टिगेटर और प्रॉसिक्यूटर्स को प्रशिक्षित किया है, और पिछले 4 वर्षों में लगभग 20,000 ऐसे अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है.
ब्यूरो के दो प्रशिक्षण केंद्र भी पुलिस अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसीक्यूशन में प्रशिक्षण देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं. ब्यूरो के पास महिलाओं की सुरक्षा और उत्थान से संबंधित एक अलग माइक्रो-मिशन भी है. इस सम्मेलन में विभिन्न पुलिस बलों में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हुई थी.