पश्चिम बंगाल में एक बार फिर हिंसक झड़प देखने को मिली हैं. राज्य सरकार के खिलाफ भाजपा के नबन्ना चलो मार्च को लेकर ये बवाल शुरू हुआ. जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई. भारी संख्या में पहुंचे बीजेपी कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस की तरफ से पूरा जोर लगा दिया गया. वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ. लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई से मामला और ज्यादा बढ़ गया और इसने बाद में आगजनी और तोड़फोड़ का रूप ले लिया.
इस पूरे बवाल के बीच कई जगहों में पुलिस की गाड़ी को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. नबान्न चलो अभियान के बीच हावड़ा के संतरागाछी इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने और तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का उपयोग किया और आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान भी जमकर हिंसा देखी गई.
किस बात को लेकर था प्रदर्शन?
दरअसल पिछले कुछ हफ्तों से पश्चिम बंगाल में लगातार ईडी और सीबीआई की छापेमारी चल रही है. ममता सरकार के कई मंत्री एजेंसियों की रडार पर हैं और कुछ गिरफ्तार भी हो चुके हैं. ऐसे में बीजेपी ने भ्रष्टाचार के इन्हीं मुद्दों को लेकर प्रदर्शन का ऐलान किया था. कोलकाता में सचिवालय तक मार्च निकालने के लिए हजारों बीजेपी कार्यकर्ता और नेता जुटे. इसे नबान्न चलो मार्च का नाम दिया गया. हालांकि पुलिस ने पहले से ही इसे लेकर तैयारी कर ली थी, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को रास्ते में ही रोक लिया गया.
पुलिस के रोके जाने से बीजेपी कार्यकर्ता हिंसक हो गए और उन्होंने जमकर बवाल किया. इस दौरान कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए. जिसमें कोलकाता के असिस्टेंट कमिश्नर के हाथ में फ्रैक्चर हो गया. मामला बढ़ता देख पुलिस ने सुवेंदु अधिकारी समेत तमाम बीजेपी नेताओं को हिरासत में ले लिया. देर रात तक हिंसाग्रस्त इलाकों में भारी पुलिसबल की तैनाती रही.
बीजेपी-टीएमसी के आरोप
इस पूरे मामले को लेकर सत्ताधारी दल टीएमसी ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला. टीएमसी की तरफ से कहा गया कि बीजेपी नेताओं की तरफ से बंगाल में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और सरेआम गुंडागर्दी हुई. वहीं बीजेपी की तरफ से विपक्ष के नेता सुवेन्दु अधिकारी ने कहा कि, “ये शांतिपूर्ण आंदोलन है. ये भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी का मुद्दा है. बंगाल की जनता ममता जी के साथ नहीं है इसलिए वह बंगाल में उत्तर कोरिया की तरह तानाशाही कर रही हैं.”