प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेता 22वें एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज़्बेकिस्तान के इस ऐतिहासिक शहर ‘समरकंद’ में हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट करके कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच पहली बैठक उपयोगी रही.’ बागची ने आगे बताया कि ‘दोनों नेताओं ने व्यापक द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की और चाबहार बंदरगाह के विकास में हुई प्रगति की भी समीक्षा की. उन्होंने अफगानिस्तान सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय घटनाक्रम पर भी विचार विमर्श किया.’ दोनों के बीच अफगानिस्तान मुद्दे पर भी बात हुई.
चाबहार बंदरगाह किया जा रहा विकसित
बता दें कि ईरान खाड़ी क्षेत्र में भारत के लिए काफी समय से एक प्रमुख देश रहा है. दोनों देश दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य एशिया के बीच अपने संपर्क में सुधार पर संयुक्त रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत, ईरान के चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश करता रहा है. ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत स्थित चाबहार बंदरगाह को संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा विकसित किया जा रहा है.
अफगानिस्तान के घटनाक्रमों पर ईरान के संपर्क में भारत
पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिग्रहण के बाद से भारत पड़ोसी देश अफगानिस्तान के घटनाक्रमों को लेकर ईरान के साथ संपर्क में है. इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ द्विपक्षीय सहयोग और ईरान के परमाणु समझौते पर ध्यान केंद्रित करते हुए टेलीफोन पर बातचीत की थी.