विपक्ष के कई नेताओं पर जांच एजेंसी ईडी की कार्रवाई के बाद सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगे और कहा गया कि सरकार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कर रही है. हालांकि केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार पर लगे इस आरोप को नकार कर दिया और कहा कि ईडी अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है और वो किसी के कंट्रोल में रहकर कार्य नहीं करती. सीतारमण ने जांच एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किए जाने की बात से भी साफ इनकार किया.
अमेरिका में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, ‘ईडी अपने कार्य करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है. यह एक ऐसी एजेंसी है, जो विधेय अपराधों का पालन करती है.’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘कोई मामला पहले से ही किसी अन्य एजेंसी द्वारा उठाया गया होता है, फिर चाहे वह सीबीआई हो या कोई और एजेंसी हो. ईडी पहली बार में सामने नहीं आती. ईडी अगर कहीं जांच के लिए जाती है, तो उसके पास पहले से सबूत होते हैं और इसी के मुताबिक एजेंसी को अपना काम करना होता है.’
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को लेकर उन्होंने कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मूल्यांकन में बदलाव का आना है. सीतारमण ने अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक वित्त समिति (आईएमएफसी) को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर 2022 तक 537.5 अरब डॉलर था जो बाकी समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर है. अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मूल्यांकन में आए बदलाव ने इस भंडार में आई गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया है.’
भारत की अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘विश्व स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था वृद्धि के पथ पर बढ़ती रहेगी और इसके सात फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान है. वित्त मंत्री ने आईएमएफसी के सदस्यों से कहा कि भारत सरकार ने मुद्रास्फीति प्रबंधन को जारी रखते हुए वृद्धि की रक्षा करने के लिए कदम उठाए हैं. सरकार ने बीते 25 महीनों से 80 करोड़ से अधिक संवदेनशील परिवारों के लिए नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्धता सुनिश्चित की है.
‘सब्सिडी को एक नजरिये से न देखे’
वहीं, विश्व बैंक विकास समिति की बैठक में शुक्रवार को सीतारमण ने भारत सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी को एकआयामी दृष्टिकोण से नहीं देखने का विश्व बैंक से अनुरोध करते हुए कहा कि ‘नुकसानदायक सब्सिडी’ और संवदेनशील परिवारों को दिए जाने वाले ‘समर्थन’ में अंतर करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के कई अहम मानकों पर भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में सब्सिडी का बड़ा योगदान रहा है. मंत्री ने कहा, ‘हमारी विश्व बैंक से अपील है कि सब्सिडी को एकआयामी नजरिए से देखना बंद किया जाए. नुकसानदायक सब्सिडी और संवेदनशील परिवारों को टारगेट करके दिए जाने वाले समर्थन के बीच अंतर करना जरूरी है.’