राजधानी दिल्ली में चार दिवसीय 90वीं इंटरपोल महासभा का शुक्रवार को समापन हो गया है. दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पुलिस साझा संगठन (इंटरपोल) के इस ऐतिहासिक और यादगार जलसे ने तमाम खट्टी-मीठी यादें अपने 195 सदस्य देशों के लिए छोड़ी हैं. इन्हीं सबमें सबसे महत्वपूर्ण रहा वो विषय जो इंटरपोल जैसे, दुनिया के दूसरे नंबर के सबसे बड़े संगठन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है. मतलब “क्रिप्टोकरेंसी” और साइबर क्राइम. इन दोनों ही अपराधों को लेकर सच्चाई यह है कि, इन दोनों ही अपराधों से जुड़े अपराधी और गैंग आज भी आगे-आगे ही दौड़ लगा रहे हैं, जबकि उसे पकड़ने के लिए इंटरपोल पीछे-पीछे चल रहा है.
इस चार दिवसीय यादगार जलसे के बाद अब यह सच किसी से दबा-छिपा नहीं रहा है. क्योंकि इसका खुलासा खुद इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने ही किया है. दुनिया भर से इकट्ठा हुए अपने 195 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के सामने, उन्होंने बेबाकी से कबूल किया कि इंटरपोल के सामने यूं तो तमाम चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं. इनमें मगर संगठित अपराध नेटवर्क के जाल को तार-तार करना सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आ रहा है. यह काम इंटरपोल और उसके सदस्य देशों के लिए कठिन हो सकता है, मगर नामुमकिन कतई नहीं है.
संगठित अपराधों पर लगाम लगाने में इंटरपोल बहुत पीछे
इंटरपोल महासचिव ने दो टूक बयान दिया कि, संगठित अपराध नेटवर्क (ऑर्गेनाइज्ड क्राइम) का दुनिया भर में बोलबाला बढ़ चुका है. उस हद तलक जो दूर से ही जमाने को नजर आने लगा है. इस अपराध से जुड़े अपराधी गैंग सालाना अरबों डॉलर की काली-कमाई कर रहे हैं, हम यह तो जानते हैं. इंटरपोल मगर इस नेक्सस को पूरी तरह से तबाह करने की तमाम कोशिशों के बाद भी, इस गैंग को बर्बाद नहीं कर पा रहा है. इस काले कारोबार से सालाना अरबों-खरबों डॉलर की कमाई कर रहे अपराधियों के बारे में इंटरपोल के पास काफी कुछ पुख्ता जानकारियां भी हैं, इसके बाद भी ऐसे संगठित अपराधों से जुड़े गैंग्स और अपराधियों को रोक पाने की हमारी दर एक प्रतिशत भी नहीं है, जोकि दुनिया के लिए चिंता का विषय है.
क्रिप्टोकरेंसी, साइबर अपराध और ऑर्गेनाइज्ड क्राइम पर खास चर्चा
इंटरपोल के इस एतिहासिक महासम्मेलन में क्रिप्टोकरेंसी, साइबर अपराध और ऑर्गेनाइज्ड क्राइम पर ही चर्चा छाई रही. मौजूद सभी सदस्य देशों सहित इंटरपोल प्रमुख ने भी इस सच्चाई को अपनों के बीच खुले मन से सहज स्वीकार किया. इसलिए ताकि इन पर नियंत्रण के लिए कोई बेहतर और अभेद्य रास्ता या फार्मूला इंटरपोल को हासिल हो सके. क्योंकि इंटरनेशनल क्राइम के रूप में किसी भी देश की पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए, क्रिप्टोकरेंसी, साइबर अपराध और ऑर्गेनाइज्ड क्राइम ही सबसे बड़ा सिरदर्द बने हुए हैं. जो बजाए काबू किेए जाने के दिन-ब-दिन बढ़ते-फलते-फूलते ही जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इस अपराधों से जुड़े इंटरनेशनल गैंग्स को नेस्तनाबूद करने के वास्ते, दुनिया के देशों के पास उपाय नहीं है.
इंटरपोल से भी कई मायनों में आगे हैं अपराधी
अपराधी मगर इन उपायों का भी ‘तोड़’ तलाशे बैठे हैं. यही वजह है कि जब तक जांच और प्रवर्तन एजेंसियां इनके ऊपर हाथ डालती हैं, उससे पहले ही यह बदनाम धंधे वाले उससे भी चार कदम आगे निकल कर, जांच एजेंसियों के हर प्रयास को विफल कर देते हैं. अपराधियों के पास मौजूद उच्च तकनीक का मुकाबला करने के वास्ते, दुनिया के तमाम देशों की पुलिस-प्रवर्तन एजेंसियों के पास हालांकि, वे संसाधन भी मौजूदा वक्त में उपलब्ध नहीं है, जो इन अपराधियों के नेक्सस को नेस्तनाबूद कर सकें. यह भी अपने आप में चिंता की बड़ी और दूसरी वजह है, इंटरपोल की 90वीं आमसभा में इस सच पर भी खुलकर चर्चा हुई. यहां बताना जरूरी है कि यूनाइटेड नेशंस के बाद सदस्य संख्या के नजरिए से दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा संगठन इंटरपोल, अगले वर्ष 100 साल का हो जाएगा.
अपराध नेटवर्क का बोलबाला
ऐसे में इंटरपोल की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है कि इंटरपोल, दुनिया में खुद को एक बेहतर संगठन साबित करने के लिए, सार्वभौमिक सहयोग का आह्ववान करके, इस बात और कड़वे सच को इन चार दिनों के अंदर इंटरपोल महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कई बार स्वीकारते हुए दोहराया कि, दुनिया में आज संगठित अपराध नेटवर्क का बोलबाला है. इसे इंटरपोल मुख्यालय और उसके सदस्य देशों को सहज स्वीकारना चाहिए. इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है. जरूरत है इससे निपटने के मजबूत रास्ते तलाशने की. जिस तरह से इंटरपोल महासचिव ने दुनिया में बढ़ते ऑर्गेनाइज्ड क्राइम पर चर्चा की, उससे साफ हो गया कि इंटरपोल अपनी जगह बड़ा पुलिस संगठन होगा, मगर संगठित अपराधियों का जाल इंटरपोल से कहीं ज्यादा मजबूत और बड़ा है.
विशेष टीम करेगी क्रिप्टो करेंसी के मामले में जांच
हिंदुस्तान की राजधानी नई दिल्ली में 25 साल बाद आयोजित इंटरपोल के इस महामेला में और भी कई बिंदुओं पर खुलकर चर्चा हुई. मसलन, इंटरपोल, क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े क्राइम पर अंकुश लगाने की दिशा में तेजी से अपने कदम आगे बढ़ा रहा है. इसी क्रम में इंटरपोल ने सिंगापुर में एक विशेष टीम खड़ी की है. जो तमाम देशों की सरकारों को क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अपराधों से निपटने में मदद करेगी. जुर्गन स्टॉक के ही मुताबिक, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक ठोस कानूनी ढांचे का अभाव (बीटीसी) और ईथर (ईटीएच), पुलिस एवं जांच एजेंसियों के सामने खतरनाक चैलेंज पेश कर रहा है. साइबर अपराधों की वैश्विक लागत के अनुमान के मुताबिक, इसके 2025 तक 10.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद लगाई जा सकती है.
गैर कानूनी धंधों में क्रिप्टो का इस्तेमाल
इंटरपोल, क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते चलन पर गंभीरता से नजर रखे हुए है. चूंकि यही एक बदनाम लेन-देन अत्याधुनिक तकनीक की मदद से, सबसे ज्यादा तेजी से चलन में देखा जा रहा है. इसलिए भी इंटरपोल के सदस्य देशों की जांच एवं प्रवर्तन एजेंसियों व पुलिस एजेंसियों को प्रशिक्षित किए जाने की जरुरत है. इंटरपोल ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है. क्रिप्टोकरेंसी की तकनीक अत्याधुनिक होने के चलते तमाम संगठित अपराधी संगठन गैर-कानूनी धंधों में इसका इस्तेमाल करने में जुटे हैं. वैश्विक स्तर पर भारत सहित अनेक ऐसे देश हैं जहां, इस तरह की उन्नत तकनीक को पकड़ने के संसाधन अभी उस स्तर के नहीं है जिनकी जरूरत है.