दिल्ली: केजरीवाल सरकार की तरफ से दिल्ली वासियों के लिए एक अच्छी पहल की गई है. जहां दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि मौजूदा बिजली पर सब्सिडी ले रहे हर वर्ग के उपभोक्ताओं की सब्सिडी जारी रहेगी. सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण एलजी कार्यालय द्वारा अवैध रूप से बिजली सब्सिडी नीति में बदलाव की सिफारिश संबंधी जारी नोट के बाद आया है. एलजी ने दोषपूर्ण कानूनी सलाह के आधार पर दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी को वापस लेने के लिए बिजली विभाग पर दबाव डाला था.
वहीं, दिल्ली सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली में बिजली सब्सिडी बंद करना चाहते हैं और पीएमओ के दबाव में एलजी ने यह बयान जारी किया. जबकि महंगाई के इस दौर में बिजली सब्सिडी ने दिल्ली की आम जनता को बड़ी राहत दी है. आतिशी ने कहा कि दिल्ली का गरीब और मध्यम वर्ग इस राहत के लिए केजरीवाल सरकार का आभारी है.
DERC की सलाह मानने को दिल्ली सरकार बाधक नहीं
दरअसल, डीईआरसी ने दिल्ली सरकार को 06 जनवरी 2023 को पत्र के जरिए 5केवी या 3केवी से ज्यादा के लोड के कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी कम करने की अपनी पुरानी सलाह को वापस ले लिया था. विद्युत अधिनियम 2003 के विभिन्न कानूनी प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों की विस्तृत जांच के बाद, डीईआरसी ने निष्कर्ष निकाला था कि उपभोक्ताओं की किसी भी श्रेणी के लिए सब्सिडी वापस लेने के बारे में दिल्ली सरकार को सलाह देने का उसे कोई कानूनी आधार या अधिकार नहीं है.
आतिशी बोलीं- 24 घंटे मुफ्त बिजली की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध
दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने सोमवार को कहा कि केजरीवाल सरकार की राज्य के किसी भी उपभोक्ता के लिए बिजली सब्सिडी बंद करने की कोई योजना नहीं है. हम 24 घंटे मुफ्त बिजली की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारी बिजली सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है. एलजी कार्यालय जानबूझकर इसके बारे में गलत सूचनाएं फैला रहा है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने बिजली सब्सिडी के संबंध में अपनी सलाह वापस ले ली थी. तत्कालीन डिप्टी सीएम और बिजली प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीईआरसी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि पूरे मामले की जांच करें और नए सिरे से राय दें.
DERC के पास सब्सिडी की देखरेख करने का नहीं है अधिकार
पावर सब्सिडी का मुद्दा अधिनियम की धारा 86(2) के तहत किन्हीं चार विशिष्ट क्षेत्रों में नहीं आता है. इसके बजाय अधिनियम की धारा 65 के तहत आता है, जो कि राज्य सरकार का क्षेत्र है. इस प्रकार आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि सब्सिडी के संबंध में इसकी पूर्व सलाह कानूनी रूप से गलत थी और अधिकार क्षेत्र से बाहर थीय इसके संबंध में कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि डीईआरसी के पास बिजली सब्सिडी की देखरेख करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इस मामले पर उसकी सलाह गलत है। इस गलती को महसूस करते हुए डीईआरसी ने स्वयं स्पष्ट किया कि उनकी पिछली वैधानिक सलाह आज की तारीख में शून्य है।
कैबिनेट मंत्री आतिशी ने बताया कि डीईआरसी अध्यक्ष ने अपने आदेश में पिछले आयोग के सदस्यों द्वारा इस तरह की सलाह जारी करने के लिए इस्तेमाल किए गए तर्क की भी निंदा की थी. विशेष रूप से आयोग की पिछली वैधानिक सलाह पर टिप्पणी करते हुए, डीईआरसी अध्यक्ष ने अपने आदेश में कहा कि सलाह के पूरे विचार से यह प्रतीत होता है कि पेंशन ट्रस्ट अधिभार की समस्या का समाधान किया जाना था. इसलिए ऐसी सलाह जो पूरी तरह से अनावश्यक थी.
LG ने 316 करोड़ रुपए बचने का दिया था हवाला
वहीं, उपराज्यपाल ने DERC के “संवैधानिक सलाह” के आधार पर 1 से 5 किलोवाट और 1 से 3 किलोवाट पर सीमित किए जाने से 316 करोड़ रुपए बचने का हवाला दिया था. हालांकि, दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी मार्लेना के अनुसार, डीईआरसी ने 6 जनवरी को ही अपनी पुरानी चिट्ठी को वापस ले लिया था.
AAP झूठे और भ्रामक बयान देने की कोशिश में जुटी- सूत्र
इस दौरान एलजी आफिस के सूत्रों की ओर से कहा गया है कि खास तौर से अनिल अंबानी के स्वामित्व वाले बीएसईएस को लाभ पहुंचाने के काम में रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद, आप और उसके कार्यकर्ता झूठे और भ्रामक बयान देने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, अब जब डिस्कॉम को रिश्वत दिलाने में मदद करने का उनका घोटाला उजागर हो गया है, तो वे लोगों की नज़रों में खुद को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं.
एलजी ने अपने किसी भी पत्र में यह सुझाव तक नहीं दिया है कि आप सरकार से सब्सिडी वापस लेने के लिए कहना तो दूर की बात है. उन्होंने बार-बार कहा है कि सब्सिडी निजी बिजली कंपनियों को देने के बजाय गरीबों को दी जाए जो लाभार्थी हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि डीईआरसी के वापस लिए गए आदेशों, जिन्हें साफ तौर पर घोटाले के सामने आने के बाद वापस ले लिया गया था.