2024 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट होने की लगातार कवायद कर रहा है. हालांकि कई मौकों पर आकर इसमें बिखराव देखने को मिला है. ऐसे में अब विपक्ष के भी कई धड़े नजर आते हैं. बता दें कि विपक्षी नेताओं का एक समूह उन आठ दलों को एक साथ लाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है, जिनके नेताओं ने 5 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए पत्र लिखा था.
हालांकि कांग्रेस इसमें शामिल नहीं थी. वहीं अगर ये दल एकसाथ आते हैं तो अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले एक नए समूह का उदय हो सकता है. हालांकि, वर्तमान में, प्रमुख मुद्दों पर बीजेपी को घेरने का लक्ष्य है. 5 मार्च के पत्र में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामले का हवाला दिया गया था. विपक्ष की इस योजना के एक हिस्से के रूप में, समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 17 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने के लिए कोलकाता पहुंचेंगे.
कोलकाता में सपा की पहली कार्यकारिणी की बैठक
दरअसल इस बार समाजवादी पार्टी की छठी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन कोलकाता में होने जा रहा है. साल 1992 में सपा की स्थापना के बाद भी पार्टी की पहली कार्यकारिणी बैठक कोलकाता में ही हुई थी. सपा 18 और 19 मार्च को कोलकाता में होने वाली इस बाठक में 2024 की चुनावी तैयारी और नई ‘सियासी यारी’ की दिशा तय करेगी.
बजट सत्र के दौरान आठ दलों की बैठक
एक विपक्षी नेता ने कहा कि दिल्ली में चल रहे बजट सत्र के दौरान आठ दलों की बैठक होने वाली है. नाम न छापने की शर्त पर इन्होंने ने कहा कि सभी आठ दलों के नेताओं की सहमति लेने के बाद इसे निर्धारित किया जाएगा. आम आदमी पार्टी के दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बीआरएस के तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, राजद के बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, सपा के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, एनसीपी के शरद पवार, शिवसेना के उद्धव बालासाहेद ठाकरे गुट के उद्धव ठाकरे को 2024 के चुनाव के लिए एक आम रणनीति तैयार करने के लिए बैठक के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
कांग्रेस को रखेंगे गठबंधन से बाहर
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने तर्क दिया कि कांग्रेस को इस गठबंधन से बाहर रखा गया है क्योंकि उसकी चुनावी रणनीति क्षेत्रीय दलों की योजनाओं के अनुरूप नहीं है. हम चाहते हैं कि अन्य राज्यों में बीजेपी विरोधी ताकतें एक साथ आएं. लेकिन पश्चिम बंगाल को देखिए- कांग्रेस और लेफ्ट ने पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल के खिलाफ गठबंधन किया था.’
अपने-अपने राज्यों में एक-दूसरे का समर्थन
एक तीसरे विपक्षी नेता ने बताया कि इनमें से कई पार्टियां, जैसे आप या बीआरएस, अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही हैं. हम शिरोमणि अकाली दल और DMK को भी आमंत्रित करना चाहते हैं. डीएमके, जो तमिलनाडु में सत्ता में है, कांग्रेस की पक्की सहयोगी है. उन्होंने कहा कि ये आठ पार्टियां आम मुद्दों पर बीजेपी को टक्कर देंगी या अपने-अपने राज्यों के अहम मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करेंगी.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव की मांग
मंगलवार को नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की मांग को लेकर इन आठ पार्टियों के एक साथ आने की संभावना पर चर्चा की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी दलों का यह समूह जम्मू-कश्मीर में चुनाव की मांग के लिए भारत के चुनाव आयोग से संपर्क कर सकता है.