विपक्षी एकता की कोशिशों में जुटे मल्लिकार्जुन खरगे खुद कांग्रेस के भीतर रायपुर अधिवेशन के पास प्रस्तावों के तहत कांग्रेस के भीतर एकमत होकर अब तक ना ही कांग्रेस कार्यसमिति का गठन कर पाए हैं और न ही संगठन में बड़े बदलाव कर पाए हैं. पार्टी की कार्यसमिति फैसले लेने वाली सबसे अहम बॉडी है. रायपुर अधिवेशन में सीडब्ल्यूसी में चुनाव के बजाय खरगे को मनोनयन का अधिकार दिया गया था.
दो महीने होने वाले हैं लेकिन गठन नहीं हो सका. दरअसल, खरगे खुद गांधी परिवार से राय मशविरे के बाद गठन करना चाहते हैं, केसी वेणुगोपाल गांधी-परिवार और खरगे के बीच विचारों का आदान-प्रदान का काम कर रहे हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है. नामों को लेकर सहमति में पेंच इतने ज़्यादा फंसे हैं कि अब इसके गठन को कर्नाटक चुनाव तक के लिए टाल दिया गया है.
कर्नाटक चुनाव के बाद जल्दी ही सब हो जाएगा- सुप्रिया श्रीनेत
वहीं, इस मामले में कांग्रेस नेता व प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि हमारे यहां वोट के ज़रिए अध्यक्ष का चुनाव हुआ, अध्यक्ष बने, महाधिवेशन हुआ, मानते हैं कार्यसमिति और संगठन के गठन में थोड़ी देरी हुई है, लेकिन कर्नाटक चुनाव के बाद जल्दी ही सब हो जाएगा.
इससे पहले जब सोनिया या राहुल अध्यक्ष बने थे तब महाधिवेशन में मनोनयन का अधिकार मिलने बाद कम वक्त में ही सीडब्लूसी का गठन और संगठन में फेरबदल हो जाया करता था. अब जब सीडब्ल्यूसी का ही गठन नहीं हुआ इसीलिए संगठन में बदलाव के भारी भरकम जो प्रस्ताव पास हुए थे वो भी जस के तस हैं. जैसे…
- 50 फीसदी पद 50 साल से कम के लोगों को जगह.
- 50 फीसदी एससी,एसटी, ओबीसी, मुस्लिम को जगह.
- पांच साल से पुराने महासचिव हटाए जाएंगे.
- 2024 और उससे पहले राज्यों के चुनाव पर संगठन सुस्त
- 2024 और उससे पहले राज्यों के चुनाव हैं, लेकिन संगठन सुस्त पड़ा है. जो पद पर हैं वो असमंजस में हैं कि, वो बदलाव के बाद संगठन में रहेंगे या नहीं. वहीं जो फेरबदल के बाद संगठन में पद की आस लगाए हैं, वो फेरबदल होने का इंतज़ार कर रहे हैं. ऐसे में उदयपुर चिंतन शिविर में बड़े बड़े बदलावों के प्रस्ताव लाना और फिर नया अध्यक्ष बन जाने पर रायपुर महाधिवेशन में उनको कागजों में पास करना तो आसान है, लेकिन उनको धरातल पर उतारना उतना ही मुश्किल दिख रहा है, जितना विपक्षी एकता को धरातल पर सीटों के बंटवारे के साथ उतारना.