ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के कारण का पता चल गया है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के चलते ये दर्दनाक हादसा हुआ, जिसकी जानकारी रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी है. ट्रेन हादसे में कम से कम 275 यात्रियों की मौत हुई है, जबिक 900 से अधिक घायल हुए हैं. रेल मंत्री का कहना है कि बालासोर में डाउन लाइन को ठीक कर लिया गया है और बुधवार सुबह से ट्रेन की आवाजाही बहाल हो जाएगी.
उनका कहना है कि हादसे की सही वजह का पता चल गया है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव से हादसा हुआ है. हादसे की जांच रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी. रिपोर्ट सामने आने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, हादसे के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है. इसके अलावा घायलों के परिजनों के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गई है.
ट्रेन हादसे के बाद 14 घंटे चला रेस्क्यू
रेल मंत्री का कहना है कि रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर ने इस हादसे की जांच की है और जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन उन्होंने घटना के कारण और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली है. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘कवच’ सिस्टम के सवाल का जवाब देते हुए अश्वनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना का एंटी-कोयलेशन सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है.
ट्रेन हादसे के बाद तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. 14 घंटे तक रेस्क्यू चला. इसके बाद मरम्मत काम शुरू हुआ. शनिवार से काम लगातार जारी है. रेल मंत्री मौके पर मौजूद हैं वो लगातार पूरे काम की निगरानी कर रहे हैं. रेल मंत्रालय के मुताबिक इस काम में बड़ी संख्या में कर्मचारी लगे हुए हैं. सात से अधिक पोकलेन मशीनें, दो दुर्घटना राहत ट्रेनें, तीन-चार रेलवे और सड़क क्रेन को इसके लिए तैनात किया गया है.
कोरोमंडल एक्सप्रेस की हुई थी भीषण टक्कर
ये हादसा शुक्रवार शाम को सात बजे के करीब हुआ था. हादसे में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य लाइन से जाने के लिए एक सिग्नल दिया गया था, लेकिन तुरंत इसे हटा दिया गया और ट्रेन लूप लाइन में प्रवेश कर गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई.