राष्ट्रीय राजधानी से सटे गाजियाबाद में एक 10 साल की बच्ची ने फांसी लगा ली है. घटना गुरुवार देर रात की है. इस बच्ची की मां उसे खाना खाने के लिए बुला रही थी, जबकि बच्ची मोबाइल पर रील देखने में बिजी थी. इसी बात को लेकर उसकी मां ने थोड़ी डांट लगा दी. इतनी सी बात पर नाराज होकर इस बच्ची ने कमरे में जाकर फंदा लगा लिया. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया है. घटना मुरादनगर के हुसैनपुर गांव का है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
घटना के संबंध में पुलिस ने बच्ची की मां शबाना और पिता नफीस के अलावा अन्य परिजनों से पूछताछ की है. इसमें परिजनों ने बताया कि बच्ची काफी देर से मोबाइल देख रही थी. जबकि उसकी मां उसे खाना खाने के लिए कई बार आवाज लगा चुकी थी. इसके बाद भी जब बच्ची ने मोबाइल नहीं छोड़ा तो उसकी मां ने थोड़ा तेज आवाज में उसे डांट दिया. यही नहीं, मोबाइल भी छीन लिया. लेकिन बच्ची को मां का यह व्यवहार नागवार लगा और वहां से उठकर कमरे में चली गई, जहां उसने पंखे में फंदा लगाकर फांसी पर लटक गई.
इधर, कमरे से वह बाहर नहीं आई तो उसकी मां ने जाकर देखा तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई. आनन फानन में उसे फंदे से उतार कर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. शबाना ने बताया कि उनकी बेटी सानिया पांचवीं में पढ़ाई कर रही थी. आम तौर पर वह बहुत शांत रहती थी, लेकिन पता नहीं क्या हुआ था कि गुरुवार की रात उसे मां की डांट नागवार लगी और उसने फांसी लगाकर जान दे दी.
पुलिस के मुताबिक शव का पोस्टमार्टम कराया गया है. रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई होगी. उधर, मनोचिकित्सकों ने इस घटना को मोबाइल सिंड्रोम बताया है. कहा कि बच्चों में मोबाइल की लत लगातार बढ़ रही है. यह लत ड्रग्स की लत से भी ज्यादा खतरनाक है. वहीं उन्हें मोबाइल चलाने से मना करने पर बच्चे आक्रोशित हो जाते हैं. ऐसे में उनके साथ सख्ती बरतने के बजाय काउंसलर की मदद लेना चाहिए.