कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शनिवार को हैदराबाद के दौरे पर रहे हैं. उन्होंने चेवेल्ला में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया. इस दौरान खरगे के निशाने पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार से मुकाबला करने के लिए 26 विपक्षी पार्टियां एक साथ आई हैं, लेकिन केसीआर खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं फिर भी एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके अलावा न ही धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बारे में कोई जिक्र किया है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि केसीआर खुद को राज्य में धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, लेकिन अंदरखाने बीजेपी से मिले हुए हैं. वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे का कहना है कि उनकी पार्टी और विपक्षी दल इंडिया का लक्ष्य “केसीआर जैसे समर्थकों के साथ बीजेपी” को उखाड़ फेंकना है. खरगे का ये बयान केसीआर के उस बयान के कुछ दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन या बीजेपी नीत एनडीए के साथ गठबंधन में नहीं है.
खरगे के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया और बीजेपी ने इस पर पलटवार किया है. बीजेपी की प्रवक्ता रचना रेड्डी ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से मिले होने के बयान को लेकर कहा है कि कांग्रेस और बीआरएस दोनों दल “सगे भाई” हैं. साथ ही साथ उन्होंने खरगे के दावे को एक मजाक करार दिया है.
क्या खरगे सोचते हैं कि लोग अंधे या बहरे हैं? बीजेपी
रेड्डी ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस पार्टी के रबर स्टांप है. उनमें भारतीय जनता पार्टी और बीआरएस के एक साथ होने के बारे में बात करने का साहस है, लेकिन कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीआरएस ने दिल्ली अध्यादेश विधेयक का भरपूर समर्थन किया है. वे संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान फिर से एक साथ आए थे. यहां तक कि बीआरएस और कांग्रेस के सांसद भी हमेशा एक साथ बैठते हैं. क्या खरगे सोचते हैं कि लोग अंधे या बहरे हैं? या लोगों के पास दिमाग नहीं है? कोई भी देख सकता है कि बीआरएस और कांग्रेस पिछले 22 सालों से सगे भाई हैं. बीआरएस-बीजेपी गठजोड़ पर जोर देते हुए रेड्डी ने कहा कि बीआरएस प्रमुख केसीआर कांग्रेस पर शासन करते हैं. तेलंगाना का कोई भी शिक्षित व्यक्ति देख सकता है कि बीआरएस और कांग्रेस के बीच क्या संबंध हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी और बीआरएस का एक साथ होना हंसी का पात्र है.