सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर होने वाली सुनवाई टल गई है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले को अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद से देश भर में राम मंदिर को लेकर कई प्रतिक्रिया आयी है . आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने कहा है की “राम मंदिर का मामला न्यायालय में चल रहा है लेकिन कितना लंबा चलेगा? रामजन्मभूमि पर शीघ्रतापूर्वक राम मंदिर बनना चाहिए, सरकार कानून लाए और मंदिर बनाए.
वही सोमवार को एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को अध्यादेश लाने की चुनौती दे दी है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार अयोध्या मामले पर अध्यादेश लाती है तो फटकार पड़ेगी. सरकार मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाकर दिखाए. उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबको मानना पड़ेगा. फैसले का विरोध करना ठीक नहीं है. देश मर्जी से नहीं बल्कि संविधान से चलता है.
दूसरी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने का ब्यान एक बार मीडिया की सुर्खिया बटोरेगा. योगी ने कहा है की “जिसे कुर्सी छीन जाने का खौफ़ हो वो क्या मंदिर बनाएगा.. उसके लिये योगी का जिग़रा चाहिए. डर लगता है तो बेझिझक हमको दिल्ली बुलाओ!”
लेकिन योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस ब्यान के बाद एक सवाल उठता है की केंद्र में बीजेपी और उत्तर प्रदेश की सरकार दोनों राम मंदिर बनवाने के मुद्दे पर सत्ता पर काबिज़ हुई थी लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी राम मंदिर का मुदा जस का तह बना हुआ है. अब मामला कोर्ट में है इसलिए अब सभी नेता बाहर से अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगे है. सवाल उठता है उससे पहले यह सभी लोग कहाँ थे. मामला साफ़ है 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक है और चुनाव के मद्देनज़र के लिए बिसात बिछाई जा रही है और अपने अपने मोहरे के चाल चलायी जा रही है. अब आगे देखना होगा फिर इस शतरंज की बिसात पर कितनी और चाले शेष है .