समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं. रविवार को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश ने एक बार फिर से कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने लोगों से कहा कि आप लोग बीजेपी को तो वोट देना ही नहीं साथ में कांग्रेस को भी मत देना. कांग्रेस पार्टी बहुत चालू पार्टी है.
यूपी के पूर्व सीएम ने आगे कहा, कांग्रेस पार्टी से आपको सावधान रहना है. जब हमें धोखा दे दिया तो फिर तुमा क्या ही कर सकते हो. हमारी किसी से कोई नाराजगी नहीं है. इसलिए इन लोगों से बहुत सावधान रहने की जरूरत है. मध्य प्रदेश के लिए हम लोग लगातार काम करते रहेंगे. हमारा भरोसा राज्य के नौजवानों, बुजुर्गों पर है.
कांग्रेस भी जाति आधारित जनगणना की बात करने लगी है. कांग्रेस इसलिए जाति जनगणना की बात कर रही है क्योंकि उसके जितने वोट थे सभी बीजेपी वालों के पास चले गए हैं. ऐसे में ये पार्टी वोट लेने के लिए जाति जनगणना कराने की बात कह रही है.
सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के बाद बदले अखिलेश के तेवर
दरअसल, जब से मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आए हैं तब से अखिलेश यादव कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं. अखिलेश ने एक दिन पहले यानी शनिवार को मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला था. अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस अब बीजेपी की भाषा बोल रही है.
लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन को लेकर होगी चर्चा: अखिलेश
सपा उम्मीदवारों के खरीद फरोख्त के बारे में सवाल किए जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि इससे कांग्रेस की मंशा का पता चलता है. एमपी के लोगों ने यह देखा है कि अगर किसी पार्टी ने गठबंधन को धोखा दिया है तो वो कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी है. अब लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन को लेकर चर्चा होगी.
कांग्रेस और सपा दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा
बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों की ओर से ‘इंडिया’ गठबंधन बना हुआ है. इस गठबंधन में कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ-साथ दो दर्जन से अधिक विरोधी पार्टियां शामिल हैं. इस गठबंधन का उद्देश्य बीजेपी को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने का है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी पार्टियों में मतभेद सामने आने लगे हैं.
इस मतभेद की शुरुआत मध्य प्रदेश चुनाव से हुई, जहां, पर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को सीट से देने से इंकार कर दिया. इसके बाद समाजवादी पार्टी अकेले मैदान में उतरी है और कई सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ रही है.