आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की ओर से हाल ही में जारी हुई उम्मीदवारों की पहली लिस्ट के बाद राजस्थान के चूरू में सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने चूरू लोकसभा सीट के लिए मौजूदा सांसद राहुल कांस्वा का टिकट काटकर देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है. झाझरिया पैरालंपिक में दो बार गोल्ड मेडलिस्ट हैं. बीजेपी की ओर से टिकट नहीं मिलने से राहुल कस्वा नाराज हो गए हैं जिसकी वजह से बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है.
पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर हुई बगावत को रोकने के लिए बीजेपी पार्टी अब फूंक-फूंककर कदम उठा रही है. वहीं राहुल कस्वां के रूप में उठी बगावत से भाजपा की टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी के अंदरखाने में चर्चा है कि राहुल कस्वां ने अपने टिकट कटने की प्रमुख वजह राजेन्द्र राठौड़ को माना है.
विधानसभा चुनाव में शुरू हुई थी तकरार
ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव में तारानगर सीट से हार की वजह को राजेन्द्र राठौड़ ने पार्टी के जयचंदों को बताया था यानी कि सीधा इशारा राहुल कांस्वा की तरफ था. इसके बाद से ही दोनों की अदावत शुरू हुई जो कस्वां के टिकट कटने तक जारी है. यही वजह थी कि राहुल कस्वां के चक्कर में राजेंद्र राठौड़ का टिकट अटक गया है.
मगर कांस्वा की नाराजगी और कांग्रेस में जाने की अटकलों के बीच अब पार्टी राठौड़ और पूनिया के टिकिट पर फिर से विचार कर रही है. ऐसे में इन दोनों नेताओं के चक्कर में सतीश पूनिया का टिकट भी अब होल्ड हो गया है.
वहीं नेताओं की आपसी लड़ाई में पार्टी बीच का रास्ता निकालने में जुटी है. इसी वजह से आलाकमान ने 6 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को बैठक के लिए बुलाया था. वहीं इस पूरे प्रकरण के दौरान अब राजस्थान में संगठन के अंदर जाट बनाम राजपूत जैसी स्थिति पैदा होती जा रही है. इससे बचने के लिए बीजेपी कुछ बड़े कदम उठा सकती है.
नाराजगी अब सोशल मीडिया तक आई
राहुल कांस्वा यही नहीं रुके थे, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी भी बयां कर दी है. कांस्वा ने 3 मार्च को लिखा, राम-राम मेरे चूरू लोकसभा परिवार! लेकर विश्वास-पाकर आपका साथ, देकर हर संकट को मात, ध्येय मार्ग पर बढ़ते जाएंगे, उत्थानों के शिखर चढ़ते जाएंगे. आप सभी संयम रखें. आगामी कुछ दिन बाद आपके बीच उपस्थित रहूंगा, जिसकी सूचना आपको दे दी जाएगी.
कांस्वा ने पूछा, आखिर मेरा गुनाह क्या था?
इसके अलावा उन्होंने लिखा, आखिर मेरा गुनाह क्या था…? क्या मैं ईमानदार नहीं था? क्या मैं मेहनती नहीं था? क्या मैं निष्ठावान नहीं था? क्या मैं दागदार था? क्या मैंने चूरू लोकसभा में काम करवाने में कोई कमी छोड़ दी थी? मा. प्रधानमंत्री जी की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में, मैं सबसे आगे था और क्या चाहिए था? जब भी इस प्रश्न को मैंने पूछा, सभी निरूत्तर और निशब्द रहे. कोई इसका उत्तर नहीं दे पा रहा. शायद मेरे अपने ही मुझे कुछ बता पाएं.