इटली के अपुलिया शहर में G7 शिखर सम्मेलन का आगाज हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में विशिष्ठ अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो चुके हैं. तीसरी बार एनडीए की सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये पहली विदेश यात्रा है. प्रधानमंत्री 14 जून को यहां सम्मेलन में शिरकत करेंगे. उससे पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- G7 शिखर सम्मेलन में मैं विश्व के साथी नेताओं से मिलने, अपनी पृथ्वी को बेहतर बनाने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के मकसद से अनेक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं. प्रधानमंत्री मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के विशेष आमंत्रण पर शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. संभावना जताई जा रही है इस सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध, हमास-इजरायल विवाद के अलावा दक्षिण अफ्रीका के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है.
शुक्रवार को G7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी दुनिया के पावरफुल नेताओं के साथ मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात फांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रो से होगी. उसके बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से उनकी मीटिंग होने वाली है. फिर जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज से मिलेंगे. प्रधानमंत्री मोदी इटली की पीएम जर्जिया मीलोनी से अलग से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात जापान के प्रधानमंत्री से होगी. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन से पीएम मोदी की मुलाकात होगी या नहीं, ये फाइनल नहीं है. अंत में इटली की पीएम के आमंत्रण पर मेहमान राष्ट्राध्यक्षों के साथ डिनर का कार्यक्रम है. इस दौरान कल्चरल प्रोग्राम भी आयोजित होगा.
G7 देशों की ताकत और पीएम मोदी
G7 देश कितने ताकतवर हैं और इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी क्या मायने रखती है. इसे समझने की जरूरत है. पूरी दुनिया के GDP में G7 देशों का हिस्सा 40 फीसदी है. दुनियाभर के व्यापार में G7 की हिस्सेदारी 30-35 फीसदी है. वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में G7 देशों का बड़ा प्रभाव है. आर्थिक नीतियों और सहायता कार्यक्रम में G7 देश बड़ी भूमिका निभाते हैं. रूस और चीन से तनावपूर्ण संबंधों के बीच UNSC का प्रभाव घटा है और G7 का प्रभाव बढ़ा है. क्योंकि UNSC में आमने-सामने के टकराव की वजह से कोई बड़ा फैसला नहीं हो पाता.
G7 देशों में गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, एमेज़ॉन समेत कई बड़ी कंपनियां हैं. जापान में सोनी, पैनासोनिक, जर्मनी से SAP जैसी बड़ी कंपनियां हैं. ब्रिटेन में ARM होल्डिंग्स, फ्रांस में दसौ, इटली में ST माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां हैं, यानी टेक कंपनियों की सत्ता की चाबी G-7 देशों की जेब में है. G7 देशों का AI, ग्रीन एनर्जी, बायोटेक और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में बड़ा निवेश है. G7 देश NATO के प्रमुख सदस्य हैं जो ग्लोबल सिक्योरिटी में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
G7 शिखर सम्मेलन में किन मुद्दों पर होगी वार्ता
इटली में आयोजित शिखर सम्मेलन में दुनिया में शांति और अमन के मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श किये जाने की संभावना है. इन मुद्दों में रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और प्रभाव, मिडिल ईस्ट के हालात, स्विटज़रलैंड में शांति शिखर सम्मेलन की प्लानिंग, एनर्जी के क्षेत्र में नये बदलाव, अफ्रीका और भूमध्यसागर के हालात,साथ में रूस-यूक्रेन में चल रहा युद्ध और मिडिल ईस्ट में छिड़ी जंग पर भी पॉवरफुल नेता चर्चा करेंगे.