लोकपाल की मांग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे का आज से अनशन शुरू…

मुंबई:लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर लोकपाल की मांग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे अनशन की शुरुआत करेंगे. आज सुबह 10 बजे से अन्ना महाराष्ट्र के अपने गांव रालेगण सिद्धि में अनशन पर बैठेंगे. उनका कहना है कि लोकपाल कानून बने 5 साल हो गए लेकिन आज तक लोकपाल की नियुक्ति तक नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार पांच साल तक बहानेबाजी करती रही.

अन्ना हजारे ने कल कहा था, ”मेरे गांव रालेगण सिद्धी में अनशन पर बैठ रहा हूं. ये मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के विरोध में नहीं है. समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं. उसी प्रकार का ये आंदोलन है.” अन्ना हजारे ने साल 2013 में भी लोकपाल को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान पर एतिहासिक अनशन किया था. आंदोलन के सामने तब की कांग्रेस सरकार को झुकना पड़ा और बीजेपी के समर्थन से लोकपाल कानून बनाया गया. इस आंदोलन से आम आदमी पार्टी (आप) से उभरी. अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी और आदर्श शास्त्री जैसे नेता उभरे.

इस बीच कल भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के सदस्यों को चुनने के लिए गठित आठ सदस्यीय समिति ने अपनी पहली बैठक की. मोदी सरकार द्वारा इस समिति का गठन किए जाने के करीब चार महीने बाद यह बैठक हुई है. इस बैठक से कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस समिति के लिए उन नामों का पैनल भेजने के लिए फरवरी के अंत तक की समय सीमा तय की थी, जिन नामों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत चयन समिति द्वारा लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए विचार किया जा सके. शीर्ष अदालत ने 17 जनवरी को नाम सुझाने वाली समिति को अपना विचार विमर्श पूरा करने और लोकपाल अध्यक्ष और सदस्यों के उम्मीदवारों के नामों की सूची की सिफारिश फरवरी के अंत तक करने को कहा था.

गौरतलब है कि कुछ खास श्रेणी के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर गौर करने के लिए केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की व्यवस्था करने वाला लोकपाल कानून 2013 में पारित हुआ था. लोकपाल और लोकायुक्त कानून के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता चयन समिति के सदस्य होंगे. चूंकि, खड़गे को यह दर्जा हासिल नहीं है, इसलिए वह समिति का हिस्सा नहीं हैं. विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल करने के लिए उनकी पार्टी के पास लोकसभा में कम से कम 55 सीटें या सदन के सदस्यों की कुल संख्या की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए.

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