पिछले 10 सालों में 6 राष्ट्रीय दलों में एक होने वाली आम आदमी पार्टी राजस्थान में सचिन पायलट पर डोरे डालने में जुट गई है. आम आदमी पार्टी ने शुरू से ही अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे प्रकरण पर गहरी दोस्ती का हवाला देते हुए तगड़ा प्रहार किया है. यही वजह है कि बीते मंगलवार को जब सचिन पायलट धरने पर बैठे तो आम आदमी पार्टी ने बीजेपी समेत कांग्रेस को घेरकर कांग्रेस की ‘आपदा में अवसर’ ढूंढने का प्रयास तेज कर दिया
वैसे आपदा में अवसर ढूंढने की बात पीएम नरेंद्र मोदी ने कोविड की आपदा के दरमियान देश के व्यवसायियों को प्रोत्साहित करने के लिए कही थी, लेकिन बीजेपी की ही पिच पर हमेशा से बैटिंग कर बीजेपी और कांग्रेस को पटखनी देकर राजनीति चमकाने वाली आम आदमी पार्टी राजस्थान में भी कांग्रेस और बीजेपी को घेरने में जुट गई है.
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सचिन पायलट की मुहिम को समर्थन देते हुए कहा कि राजस्थान में सालों से भ्रष्ट सीएम की सरकार है, जो एक-दूसरे का सरकार में रहते हुए बचाव करते हैं. जाहिर है, माथुर आयोग को लेकर लीगल हैसियत नहीं लेकर अशोक गहलोत पर आम आदमी पार्टी ने कड़े प्रहार किए हैं.
कांग्रेस-बीजेपी का एक-दूसरे के प्रति विरोध महज छलावा
टीवी9 से बातचीत के दरमियान आम आदमी पार्टी के राजस्थान के प्रवक्ता अमित शर्मा ने पूछा कि पिछले साढ़े चार सालों में जांच नहीं की गई है और इसका प्रमाण खुद सचिन पायलट अपने धरने के जरिए दे रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी का एक-दूसरे के प्रति विरोध महज छलावा है, जिसे आम आदमी पार्टी पहले से ही एक्सपोज करने में जुटी है.
AAP को क्यों दिख रहा है कांग्रेस की आपदा में अवसर?
आम आदमी पार्टी (आप) का ट्रैक रिकॉर्ड है कि वो उन स्थानों पर मजबूत हुई है, जहां कांग्रेस पार्टी मजबूती से खड़ी रही थी. दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ मुहिम तेज कर आम आदमी पार्टी 26 नवंबर 2012 को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पहचान बनाई थी. कांग्रेस पार्टी के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी चंद महीनों की सरकार बनाने में कामयाब रही थी, लेकिन उसके बाद कांग्रेस पार्टी दिल्ली से तकरीबन नदारद हो गई है. जाहिर है, आम आदमी पार्टी की यही रणनीति पंजाब में रही.
कांग्रेस को हराने को लेकर उतरी आम आदमी पार्टी साल 2017 में कामयाब नहीं रही, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का जोरदार फायदा उठाकर साल 2022 में पंजाब में सरकार बनाने में कामयाब रही थी. जाहिर है, ऐसा तभी संभव हो पाया था, जब लड़ाई अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद अमरिंदर सिंह का पार्टी के खिलाफ बगावत करना और फिर कांग्रेस में चन्नी और सिद्धू को लेकर विरोध सामने आ गया था.
कांग्रेस के विरोध का फायदा लेने में कैसे जुटे हैं केजरीवाल?
पंजाब में कांग्रेस के अंतर्विरोध का फायदा आम आदमी पार्टी को भरपूर मिला था. आम आदमी पार्टी पंजाब में पहली बार सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. जाहिर है, राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही जंग का फायदा आम आदमी पार्टी पंजाब के तौर तरीकों से उठाना चाह रही है.
इसलिए आम आदमी पार्टी के सर्वे सर्वा नेता अरविंद केजरीवाल से लेकर तमाम नेता सचिन पायलट की शान में कसीदे पढ़ने में जुट गए हैं. दरअसल, आम आदमी पार्टी पिछले कुछ समय से दिल्ली से बाहर पैर पसारने में कामयाब हुई है. इसलिए पंजाब में मिली भारी जीत के बाद आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा में तेज हुई है.
‘मोदी’ के विकल्प बनने की चाहत रखते हैं केजरीवाल?
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी की उपलब्धियां गिनाते हुए थक नहीं रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आम आदमी पार्टी उन तीन पार्टियों में एक है, जिसकी एक के अलावा दूसरे राज्यों में सरकार है. जाहिर है, राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी आम आदमी पार्टी के दूसरे बड़े नेता राघव चड़्ढ़ा ने इससे आगे बढ़ते हुए कहा कि अब उनके जैसे करोड़ों लोगों की चाहत है कि राष्ट्र का नेतृत्व अरविंद केजरीवाल करें.
मतलब साफ है कि दिल्ली के सीएम से पीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए आम आदमी पार्टी कांग्रेस द्वारा छोड़े जा रहे उस स्पेस को भरकर करना चाह रही है, जहां कांग्रेस कमजोर होती दिख रही है. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने गुजरात में दांव खेला, जहां वो तीसरे नंबर पर रही. लेकिन, 12 फीसदी वोट पाकर कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया. फिलहाल, आम आदमी पार्टी उन राज्यों में पैर पसारना चाह रही है, जहां कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व को लेकर संकट है और वहां वो मौके पर चौका जमाकर बीजेपी के सामने विकल्प के तौर पर पेश होने की चाहत रख रही है.