अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह है, जिसमें पीएम मोदी यजमान के तौर पर शिरकत करेंगे. अयोध्या कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी मिशन-2024 के अभियान में पूरी तरह से उतर जाएंगे. यूपी के बुलंदशहर में 25 जनवरी को रैली कर 2024 के लोकसभा चुनाव की हुंकार करेंगे और उसके बाद बिहार के बेतिया में 27 जनवरी को विकास की सौगात देकर सियासी समीकरण को साधने की कवायद करेंगे. बीजेपी ने यूपी और बिहार में सियासी माहौल बनाने के लिए खास प्लान बनाया है, जिसके तहत पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैली कराने की पठकथा लिखी गई है.
लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने युद्ध स्तर पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है और 31 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कार्यालय खोल लिए जाएंगे. देश भर की सभी 543 लोकसभा सीटों को बीजेपी ने अलग-अलग क्लस्टर में बांटे हैं. एक क्लस्टर में तीन-चार लोकसभा सीटों को रखा गया है और पार्टी ने हर एक क्लस्टर के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहाने संघ-वीएचपी के लोग पहले से चुनावी माहौल बनाने में पहले से जुटे हैं. इस मिशन में बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ लगी हुई है. पीएम मोदी फिलहाल दक्षिण भारत के मिशन को धार देने में जुटे हैं, लेकिन उत्तर भारत में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपनी रैली शुरू करेंगे, जिसके तहत यूपी और बिहार में चुनावी हुंकार भरेंगे.
बुलंदशहर से चुनाव अभियान का आगाज करेंगे पीएम मोदी
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिन बाद पीएम मोदी बुलंदशहर में रैली कर उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज करेंगे. बीजेपी ने रैली की तैयारी भी शुरू कर दी है. पीएम मोदी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश खासतौर से पश्चिम यूपी पर फोकस रखा है. यही वजह है कि 25 जनवरी को पहली चुनावी रैली बुलंदशहर से होगी. राम मंदिर के उद्घाटन के बाद प्रदेश में भाजपा की यह पहली चुनावी रैली होगी. हालांकि, पहले पीएम मोदी का प्रोग्राम अलीगढ़ में होना था, लेकिन 2014 की तरह बुलंदशहर करने की रणनीति बनाई गई है.
पीएम मोदी ने 2018 में बुलंदशहर और 2019 में मेरठ से चुनावी शंखनाद किया था. अब 2024 के चुनावी अभियान की शुरुआत बुलंदशहर से प्रधानमंत्री करेंगे. माना जा रहा है कि बीजेपी बुलंदशहर के जरिए पश्चिमी यूपी की कुल 14 लोकसभा सीटों को साधने का प्लान बनाया गया है, जिसके चलते सभी सीटों से लोगों को रैली में लाने की प्लानिंग है. बीजेपी को 2019 में सबसे ज्यादा झटका पश्चिमी यूपी में ही लगा था. पश्चिम यूपी में बीजेपी के 14 में से आठ सांसद हैं. छह लोकसभा सीटों सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, संभल, अमरोहा और मुरादाबाद में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.
बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी की सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए जी-जान से जुटी है. ऐसे में प्रधानमंत्री की पहली चुनावी रैली पश्चिम यूपी के बुलंदशहर रखी गई है. नवमतदाता व कार्यकर्ता सम्मेलन के तौर पर इस रैली में पूरे पश्चिमी यूपी से लोगों को बुलाने का लक्ष्य तय किया गया था. बीजेपी की चुनाव आचार संहिता से पहले तीन रैली यूपी में होनी है. इसके अलावा बीजेपी ने पीएम मोदी की दूसरी रैली आजमगढ़ और तीसरी लखनऊ में कराने का प्लान बनाया है. इस तरह से बीजेपी ने पीएम मोदी की तीन रैलियां करके सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटों को साधने की कवायद की है.
27 जनवरी को बेतिया में पीएम मोदी करेंगे सभा
यूपी के साथ बिहार में भी चुनावी हुंकार पीएम मोदी भरेंगे. प्रधानमंत्री 27 जनवरी को बेतिया के सुगौली में जनसभा को संबोधित करेंगे. साथ ही बिहार में केंद्र की कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी 13 जनवरी को बेतिया जाने वाले थे, लेकिन अयोध्या के राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर उनके कार्यक्रम में बदलाव किया गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीजेपी से अलग होने के बाद पीएम मोदी का यह पहला बिहार दौरा है, जिसे 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान से जोड़कर देखा जा रहा है.
बिहार में नीतीश कुमार के विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल होने के बाद बीजेपी के लिए सियासी चुनौती बढ़ गई है, क्योंकि जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के एक साथ है. इस लिहाज से बीजेपी के लिए 2024 में 2019 जैसे नतीजे दोहराना आसान नहीं है, जिसके चलते पार्टी ने चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को अपने साथ मिला रखा है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी, लेकिन तब नीतीश कुमार की पार्टी साथ थी.
बीजेपी 2019 में बिहार में 17 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि 16 सीटें जेडीयू ने जीती थी और 6 सीटें एलजेपी को मिली थी. इसके अलावा एक सीट कांग्रेस जीती थी, जबकि आरजेडी अपना खाता नहीं खोल सकी थी. बिहार में बीजेपी अब नीतीश कुमार के वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटी है तो आरजेडी ने बीजेपी के कोर वोटबैंक को अपने साथ मिला रही है. नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराकर आरक्षण का दायरा बढ़ाने का दांव चल चुकी है और अब आर्थिक रूप से कमजोर एक करोड़ लोगों के अकाउंट में दो-दो लाख भेजने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. ऐसे में बीजेपी के लिए बिहार में 2019 जैसे चुनावी नतीजे दोहराना आसान नहीं है, जिसकी वजह से पीएम मोदी की रैली कराने की रूपरेखा बनाई गई है. बेतिया से इसकी शुरुआत हो रही है और माना जा रहा है कि चुनाव के ऐलान से पहले कम से तीन से चार रैली कराई जानी है.