नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश के मसले पर समर्थन के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी पेशोपेश में है. पार्टी के दिल्ली और पंजाब के नेताओं ने राज्यसभा में अध्यादेश पर केजरीवाल का साथ नहीं देने की अपील की है. इसके अलावा केजरीवाल से भविष्य में भी किसी तरह के तालमेल का विरोध किया है. अब फैसला कांग्रेस आलाकमान के पाले में है.
इस अहम मुद्दे पर अगर कांग्रेस केजरीवाल का समर्थन नहीं करती है तो विपक्ष की एकता को बड़ा झटका लगेगा. एकतरफ नीतीश कुमार ने खरगे से मुलाकात करके केजरीवाल के लिए समर्थन मांगा तो खरगे इस राज्य इकाइयों से चर्चा करने का समय मांग लिया. लेकिन पंजाब से लेकर दिल्ली के नेता खुलकर केजरीवाल के खिलाफ हमलावर हो गए हैं.
पार्टी को नहीं करना चाहिए अध्यादेश का विरोध- माकन
केजरीवाल को धोखेबाज बताते हुए अजय माकन ने उनको समर्थन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अजय माकन ने साफ कहा की राज्य सभा में पार्टी को अध्यादेश का विरोध नहीं करना चाहिए और ऐसा करना आंबेडकर का विरोध होगा. पंजाब के कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय महासचिव सुखजिंदर रन्धावा ने भी माकन का समर्थन किया.
AAP ने कांग्रेस का मांगा जवाब
इससे पहले दिल्ली कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और पंजाब कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा लगातार केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. उधर,अध्यादेश मामले पर अरविंद केजरीवाल देशभर में अभियान चलाने की घोषणा कर चुके हैं. विपक्ष जोड़ने के लिए बैठक कर रही कांग्रेस आम आदमी पार्टी को भी जोड़ना चाहती है लेकिन अध्यादेश मामले की वजह से उसके लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का जवाब मांगा है.
कांग्रेस नेता गौरव बल्लभ ने बतााया कि अगर हमारी पार्टी केजरीवाल का समर्थन नहीं करती तो संसद से लेकर बाहर तक आप उसके साथ नहीं आएगी और अगर समर्थन कर दे तो अपनी पार्टी के नेताओं की ही नाराजगी मोल ले.
2024 में मोदी से मुकाबले के लिए विपक्षी एकता की रणनीति बना रही कांग्रेस के लिए अध्यादेश पर हां या न करना न उगलते बन रहा न निगलते बन रहा है.