बिहार: एक बारात गई और पांच दुल्हनें आईं, बंदूक की नोक पर पकड़ौआ विवाह; शादी के 30 साल बाद कैसा है हाल?

शादी कुछ लोग लव मैरिज यानी अपनी पसंद की शादी करते हैं, तो कुछ अरैंज मैरिज यानी घरवालों की पसंद से शादी करते हैं. लेकिन बिहार में बीते कई सालों से पकड़ौआ शादियां होती रही हैं. पकड़ौआ शादी अक्सर विवादों में रही है. हालांकि, अब ऐसी शादियां कम हो रही हैं. बिहार में 80-90 के दशक में पकड़ौआ विवाह ज्यादा होते थे. दूल्हों को बंदूक की नोक पर अगवा कर उनकी जबरन शादी करा दी जाती थी.

पहले पकड़ौआ शादी भूमिहार और राजपूत समुदाय के लोगों में ज्यादा होती थी. उसके बाद ऐसी शादियां अन्य जातियों में भी होने लगीं. पकड़ौआ शादी को लेकर अक्सर खूनी संघर्ष होता रहता था. दुल्हन और दूल्हे की रजामंदी के बिना शादी होती थी. इस साल अक्टूबर में बिहार के समस्तीपुर से पकड़ौआ विवाह का मामला सामने आया था. एक रेलकर्मी की जबरदस्ती पकड़कर शादी करवा दी गई थी. हम आपको एक ऐसी ही शादी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि 30 साल पहले हुई थी. इस शादी में एक बारात गई, लेकिन पांच दुल्हनें साथ गांव आईं. बारात में गए पांच लड़कों की जबरन शादी करा दी गई थी.

एक बारात पांच दुल्हनें
एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1989 में बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसरा अनुमंडल के सहियार डीह के रहने वाले प्राइवेट टीचर मनोज कुमार सिंह बेगूसराय के सिमरिया में एक बारात में गए थे, जहां दूल्हे के साथ-साथ बारात में गए पांच और बाराती लड़कों की जबरन बंदूक की नोक पर शादी करा दी गई. उस वक्त वह पांचों लड़के पढ़ाई कर रहे थे. जब बारात वापस गई, तो एक दुल्हन की जगह पांच और दुल्हनों को देखकर गांव वाले हैरान रह गए. इसके बाद से ही समस्तीपुर के सहियार डीह गांव को पकड़ौआ शादी गांव कहा जाता है. इस तरह 90 के दशक में, पकड़कर जबरदस्ती करने और कभी-कभी बंदूक की नोक पर रखकर शादी कराने की प्रथा शुरू हुई और इस शादी को पकड़ौआ शादी कहा गया. इसका मतलब सीधा-सीधा किसी की भी जबरदस्ती शादी कराना है.

किस्मत बदल गई
गांव वालों के मुताबिक पकड़ौआ शादी करने वालों की किस्मत बदल गई. अब जब 30 साल बाद इस गांव का सर्वे किया गया, तो गांव के सुबोध कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि जब पांचों बच्चों की शादी हुई, तो उनमें से कुछ पढ़ रहे थे और कुछ नहीं, लेकिन शादी के बाद सभी जिम्मेदार बन गए और सभी की नौकरी लग गई. इन 5 में राजीव सिंह, डॉ. सुशील कुमार का निधन हो गया है. धर्मेंद्र कुमार सिंह, सरोज कुमार सिंह और पांचवें को नौकरी मिल गई थी.

Related posts

Leave a Comment