Budget Session: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है. बजट सत्र के इस दूसरे सेशन से ठीक पहले कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां अडानी, महंगाई और एजेंसियों के कथित दुरुपोग समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई है. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक बुलाई है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में कांग्रेस सांसदों के अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने की संभावना है. यह बैठक सत्र शुरू होने से ठीक पहले 9.30 बजे होगी. नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि बजट सत्र के दूसरे सेशन में पार्टी आम जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहती है.
कांग्रेस नेता ने कहा, हम आम जनता से जुड़े मुद्दे जैसे एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी, अडानी ग्रुप, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, किसानों के मुद्दों समेत राज्य सरकार में राज्यपालों के हस्तक्षेप को उठाते रहेंगे. हम समान विचारधारा रखने वाली पार्टियों के साथ काम करते रहेंगे और हमारी सोच यही है कि विपक्ष एकजुट रहे. एचटी से बात करते हुए कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा, चार अप्रैल तक चलने वाले सत्र के दूसरे हिस्से में समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के बीच एकता बनाए रखने के लिए सामूहिक मुद्दों के साथ-साथ व्यक्तिगत मुद्दों पर विचार किया जाएगा.
इन मु्द्दों पर गरमाएगी राजनीति
विपक्षी पार्टियां अगर एकजुट होती है तो इस सेशन में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सोसोदिया की गिरफ्तारी, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता लालू प्रसाद यादव समेत उनके परिवार से पूछताछ, BRS नेता के कविता से ईडी की पूछताछ जैसे मुद्दों को लेकर हंगामा काट सकती है. इसके अलावा अडानी ग्रुप के मुद्दे पर संसद में गहमा-गहमी होने की उम्मीद है. अडानी ग्रुप पर शेयर की कीमतों में हेरफेर का आरोप लगा है. हालांकि, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही जांच का आदेश दे चुका है.
लंबित पड़े विधेयक को भी पेश कर सकती है सरकार
बजट सत्र के दूसरे सेशन का अधिकतर समय चुनिंदा मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर च्राच के अलावा वित्त विधेयक को पारित कराने में लगेगा. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इस सेशन सरकार कुछ लंबित पड़े विधेयकों में कई को पास कराने की कोशिश करेगी. बजट सत्र का पहले सेशन काफी हंगामेदार रहा था. अडानी के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर नजर आई थीं.