मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) एक बार फिर आमने-सामने होंगे. एकनाथ शिंदे नया शिवसेना भवन (Shiv Sena Bhawan) बनाने जा रहे हैं. दोनों गुटों में पहले से ही असली शिवसेना को लेकर लड़ाई चल रही है. शिंदे गुट ने पार्टी सिंबल पर भी दावा किया है. अब एकनाथ शिंदे नया शिवसेना भवन बनाकर उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ाने वाले हैं. शिवसेना का नया भवन उद्धव गुट की शिवसेना के भवन से 500-600 मीटर की दूरी पर होगा.
मुंबई के दादर इलाके में मौजूद रूबी मिल के पास की विस्टा सेंट्रल नाम की बिल्डिंग में मुख्य दफ्तर हो सकता है. दादर इलाका शिवसेना का गढ़ माना जाता है. ये मुंबई से बाहर के कार्यकर्ताओं के लिए भी जाना पहचाना नाम है. यही वजह भी है कि दादर में ही नए शिवसेना भवन का निर्माण होगा. इस फैसले पर एकनाथ शिंदे आखिरी मुहर लगाएंगे. कहा जा रहा है कि नया भवन और भी ज्यादा विशाल होगा.
शिवसेना में बगावत के बाद दो गुट बनें
गौरतलब है कि शिवसेना में बगावत के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई थी. एकनाथ शिंदे के गुट ने बीजेपी से नाता जोड़कर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया था. इसके बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे. एकनाथ शिंदे ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए पार्टी के झंडे और सिंबल पर भी दावा किया था. ये मामला चुनाव आयोग के पास भी पहुंचा.
चुनाव आयोग ने दस्तावेज जमा करने को कहा
शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी के ‘धनुष और तीर’ के चुनाव चिह्न को आवंटित करने की मांग की थी. उन्होंन लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में मान्यता मिलने का हवाला दिया था. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी धड़ों को अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी
8 अगस्त को शिवसेना के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट ने चुनाव चिन्ह पर अपने दावे के समर्थन में दस्तावेज जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है. चुनाव आयोग ने अब उन्हें 23 अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का समय दिया है. इस मामले को लेकर 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट को असली शिवसेना मानने और पार्टी का चुनाव चिन्ह दिए जाने की याचिका पर अभी के लिए कोई त्वरित कार्रवाई न करे. क्योंकि कोर्ट में बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर सुनवाई चल रही है.