पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा जहां-जहां गई है. सरकारी अफसरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. एक सरकारी मुलाजिम जब यह सुनता है, तो किसी को लाभ मिल गया, तो उसे जीवन में नया संतोष मिलता है. बहुत कम लोग इसकी ताकत समझते हैं. सबसे बड़ी बात एक बहन ने कही कि गरीब और अमीर में भेद मिट गया. गरीबी हटाओ का नारा देना अलग बात है, लेकिन एक गरीब कहता है कि गरीब और अमीर का भेद मिट गया, तो वह अलग बात है. जिस तरह से लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है. उससे साफ है कि साल 2047 में देश विकसित भारत बन जाएगा.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय वाराणसी दौरे पर हैं. रविवार को वाराणसी पहुंचने के बाद एयरपोर्ट से शहर तक सड़क किनारे खड़े लोगों ने गुलाब की पंखुड़ियों से भव्य स्वागत किया. बता दें कि वाराणसी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है.
दौरे के दौरान पीएम मोदी ने शहर के कटिंग मेमोरियल इंटर कॉलेज में विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रदर्शनी के दौरे के दौरान छोटे-छोटे बच्चों से संवाद भी किया और पीएम ने बच्चों से बातचीत की.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के हर व्यक्ति को लगना चाहिए कि यह देश मेरा है. यह रेलवे मेरा है. यह कार्यालय मेरा है. यह भाव जब जगता है, तो देश के लिए कुछ करने की इच्छा जग जाती है.
पीएम मोदी ने कहा कि देश के सभी लोग विकसित भारत संकल्प यात्रा को सफल बनाने के लिए समय दे रहे हैं, जा रहे हैं. यहां (वाराणसी) के सांसद के नाते मेरा भी दायित्व बनता था कि मुझे भी उस कार्यक्रम में समय देना चाहिए. आज मैं सांसद के रूप में, आपके सेवक के रूप में आप ही की तरह इस यात्रा में हिस्सा लेने आया हूं.
‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ है मेरी भी कसौटी-मोदी
‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ एक प्रकार से मेरी भी कसौटी है।
मैंने जो कहा था और मैं जो काम कर रहा था, उसे आपके मुंह से सुनना चाहता था कि जैसा मैंने चाहा था वैसा हुआ है कि नहीं, जिसके लिए होना चाहिए था, उसके लिए हुआ है या नहीं हुआ है।
न्होंने कहा कि सरकार जो योजना बनाती है, जिसके लिए बनाती है और किस काम के लिए बनाती है, वो योजना बिना परेशानियां से लोगों तक पहुंचे. योजना के लिए सरकार के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. 4 करोड़ परिवार को पक्का घर मिला है. विकसित भारत मेरी कसौटी है. आयुष्मान कार्ड आया तो हिम्मत आ गई. पक्के मकान से जिंदगी आतमविश्वास से भर गई है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ एक प्रकार से मेरी भी कसौटी है. मैंने जो कहा था और मैं जो काम कर रहा था, उसे आपके मुंह से सुनना चाहता था कि जैसा मैंने चाहा था वैसा हुआ है कि नहीं, जिसके लिए होना चाहिए था, उसके लिए हुआ है या नहीं हुआ है.