मुंबई: महाराष्ट्र में करीब एक साल से चल रहे पोलिटिकल क्राइसिस में आज फैसले का दिन है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित संविधान पीठ द्वारा तय किया जाएगा कि शिवसेना का ताज उद्धव ठाकरे के सिर सजेगा या फैसला एकनाथ शिंदे के पक्ष में होगा. इस संविधान पीठ की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड कर रहे हैं.संविधान पीठ के फैसले में महाराष्ट्र सरकार का भी भविष्य तय होगा. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने संविधान विषयक कुछ सवाल उठाए थे.
इन्हीं सवालों के मद्देनजर आज सुप्रीम फैसला आने वाला है. बता दें कि भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने पिछले साल अगस्त महीने में इस मामले की सुनवाई की थी. चूंकि इस याचिका में संविधान के प्रावधानों पर सवाल उठाए गए थे, इस लिए उन्होंने मामले को संविधान के आर्टिकिल 145(3) के तहत पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था. संविधान पीठ ने इस पूरे मामले में सभी पक्षों की दलील को सुन लिया है और आज इसमें फैसला देने वाली है.
बता दें कि शिवसेना के विघटन के बाद उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसमें उद्धव ठाकरे ग्रुप और एकनाथ शिंदे ग्रुप ने अदालत में अपनी दलीलें रख दी हैं. उद्धव ठाकरे ग्रुप द्वारा पेश की गई याचिका में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. उधर, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और विधायकों की अयोग्यता का निर्धारण करना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है. बावजूद इसके दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ना केवल एकनाथ शिंदे के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण करेगा, बल्कि इसका असर उद्धव ठाकरे और बीजेपी, कांग्रेस व एनसीपी समेत महाराष्ट् के अन्य राजनीतिक दलों पर भी पड़ने की उम्मीद है. ऐसे में यह सभी राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने रखा उद्धव का पक्ष
बता दें कि उद्धव ठाकरे ग्रुप की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील पेश की है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने लोकतंत्र के नियमों का उल्लंघन करते हुए जून 2022 में तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल अपने दफ्तर का किसी खास नतीजे के लिए इस्तेमाल नहीं होने दे सकते.
जबकि शिंदे ग्रुप के वकील ने कहा कि जब स्पीकर या डिप्टी स्पीकर के खिलाफ उन्हें हटाए जाने का प्रस्ताव लंबित हो तो वह फिर किसी विधायक को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही नहीं कर सकते हैं. शिंदे ग्रुप की ओर से एडवोकेट हरीश साल्वे और एनके कौल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश की है. दोनों वकीलों ने कहा कि अब यह मामला अकेडमिक हो चुका है. दरअसल उद्धव ठाकरे का इस्तीफा हो चुका है.
- संवैधानिक बेंच के सामने मुख्य सवाल
- स्पीकर को हटाने का नोटिस लंबित है तो क्या उसे सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई से रोका जा सकता है
- सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे समेत अन्य 15 विधायकों की ओर से अर्जी दाखिल कर उन्हें डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्यता नोटिस दिए जाने को चुनौती दी हुई है
- शिवसेना नेता और उद्धव ग्रुप द्वारा नियुक्त पार्टी चीफ विप सुनील प्रभु ने गवर्नर के फ्लोर टेस्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
- शिवसेना के नए स्पीकर द्वारा शिंदे ग्रुप के नामित नए चीफ विप को मान्यता दिए जाने को उद्धव गुट ने चुनौती दी है
- एकनाथ शिंदे को सीएम बनाए जाने के खिलाफ उद्धव गुट ने चुनौती दी है
- शिंदे गुट को पार्टी का नाम-चिह्न देने के फैसले को भी चुनौती दी गई है