नई संसद को लेकर हो रहे विरोध के बाद अब दिल्ली की सत्ता में काबिज अरविंद केजरीवाल ने नीति आयोग की बैठक में न जाने का फैसला किया है. आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है. उन्होंने इस चिट्ठी को ट्विटर पर शेयर भी किया है. ट्वीट में केजरीवाल ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री को देश का पिता समान बताया और उनसे अनुरोध किया कि वो गैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें.
केजरीवाल ने ट्वीट के साथ जो चिट्ठी साझा की उसमें उन्होंने बताया कि वो कल यानी शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे. केजरीवाल का कहना है कि खुलेआम संविधान की अवहेलना की जा रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनया जा रहा है, ऐसे में उनका नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है. केजरीवाल के इन आरोपों के केंद्र में वो अध्यादेश है, जिसके विरोध में आम आदमी पार्टी के नेता विपक्षी गुटों को लामबंद कर रहे हैं.
केजरीवाल का कहना है कि शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक का मकसद है देश का विजन तैयार करना और देश के सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना. हालांकि देश में पिछले कुछ दिनों में से संदेश जा रहा है कि अगर किसी राज्य में गैर भाजपा शासित सरकार बनती है तो उसे बर्दाश्त ही नहीं किया जा रहा. केजरीवाल ने चिट्ठी में बताया है कि ऐसी स्थिति में विधायक खरीद कर सरकार गिरा दी जाती है या उसे राष्ट्रीय एजेंसियों का खौफ दिखाया जाता है.
इसी क्रम में केजरीवाल आगे कहते हैं कि अगर किसी गैर भाजपा शासित दल के विधायक बिकने और टूटने को राजी न हों तो अध्यादेश लागू कर के गवर्नर के जरिए उस सरकार को काम करने नहीं दिया जाता. केजरीवाल ने उस अध्यादेश का भी जिक्र किया जो कि केंद्र सरकार ने दिल्ली की सरकार के पक्ष में दिए एक फैसले के बाद पारित किया. केजरीवाल का इसी आरोप के साथ सवाल है कि ऐसी स्थिति में कोई सरकार कैसे काम कर सकती है और नीति आयोग की बैठक में जाने का क्या मतलब निकलता है?