दिल्ली शराब नीति मामले में आखिरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हो गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल से दो घंटे तक पूछताछ करने के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया. हालांकि, केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लंबे समय से लटकी हुई थी, लेकिन गुरुवार को जब दिल्ली हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री को राहत नहीं मिली, तभी तय हो गया था कि किसी भी समय उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. गुरुवार देर रात ईडी की टीम ने केजरीवाल के घर की तलाशी ली और पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली सरकार का क्या होगा, किस तरह से दिल्ली की सरकार चलेगी, केजरीवाल क्या झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन की तरह इस्तीफा देकर अपनी जगह किसी दूसरे को सत्ता की कमान सौंपेंगे या फिर अपने पद पर बनेंगे रहेंगे और जेल से ही रहते हुए सरकार चलाएंगे? इस तरह के उठ रहे तमाम सवालों के जवाब की तैयारी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने पहले से ही कर रखी थी क्योंकि गिरफ्तारी की आशंका उन्हें पहले से थी.
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई प्रावधान नहीं
अरविंद केजरीवाल को ईडी ने भले ही गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई भी प्रावधान नहीं है. देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो किसी पार्टी और मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलाने से रोकता हो. भारत के संविधान में भी इस पर स्थिति को स्पष्ट नहीं किया गया है. कानून में ये बताया गया है कि दोषी साबित होने से पहले कोई भी नेता जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक बने रह सकता है और जेल से ही सरकार को भी चला भी सकता है. इस हिसाब से सीएम केजरीवाल को जेल से दिल्ली की सरकार चलाने में कानूनी रूप से कोई अड़चन नहीं होनी है.
आम आदमी पार्टी के नेता खुलकर कह रहे हैं कि केजरीवाल जेल से ही दिल्ली सरकार चलाएंगे. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बात करते हुए दिल्ली सरकार के बारे में स्पष्ट नजरिया रख दिया है. उनका कहना है कि केजरीवाल जेल में रहते हुए सरकार चलाएंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा तय किया गया है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री रहेंगे. जेल में रहकर ही पार्टी और सरकार चलाएंगे. बीजेपी चाहती है कि हर कोई जेल में हो और दिल्ली में मिल रही मुफ्त शिक्षा, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त तीर्थयात्रा और मोहल्ला क्लीनिक बंद हो जाएं, लेकिन अरविंद केजरीवाल ऐसा नहीं होने देंगे. जेल में रहकर ही सरकार चलाएंगे.
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने साफ कह दिया है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे. केजरीवाल जेल में रहकर सरकार चलाएंगे. दिल्ली की जनता से लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों, पार्षद और राज्यसभा सांसदों तक ने यही फैसला लिया कि केजरीवाल दिल्ली की सरकार जेल से ही चलाएंगे. स्पीकर ने कहा कि हमें भी चाहें तो गिरफ्तार कर लें, लेकिन केजरीवाल सरकार चलती रहेगी.
AAP ने चलाया था हस्ताक्षर अभियान
बता दें कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका देखते हुए आम आदमी पार्टी ने पिछले साल दिसंबर महीने में दिल्ली में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था. ‘मैं भी केजरीवाल’ कैंपेन के जरिए लोगों से पूछा गया कि क्या उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या गिरफ्तार होने पर जेल से सरकार चलानी चाहिए. आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि ‘मैं भी केजरीवाल’ अभियान के दौरान 90 फीसदी लोगों की राय थी कि केजरीवाल के पास ही दिल्ली का जनादेश है. वो चुने हुए मुख्यमंत्री हैं. वह जेल में रहें या कहीं भी, मुख्यमंत्री वही रहेंगे.
आम आदमी पार्टी ने इस संबंध में एक सर्वे भी दिल्ली में कराया था, तो उसमें भी यही बात निकल कर सामने आई थी कि अरविंद केजरीवाल जेल से ही सत्ता संभालेंगे. इसके बाद ही दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि अगर अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो सरकार जेल से ही चलेगी. अगर जरूरत पड़ी तो आम आदमी पार्टी अदालत जाएगी और कोर्ट से इस बाबत इजाजत भी लेगी कि जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल बैठकें कर सके और जेल में फाइलें ले जाई सकें.
हालांकि, देश में ऐसा कोई मामला ध्यान में नहीं आता, जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो. केजरीवाल से पहले भी कई मुख्यमंत्री अलग-अलग मामले में गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन उन्होंने अपनी गिरफ्तारी से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था. हाल ही झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन को ईडी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया तो उन्होंने पहले इस्तीफा दिया था. इसके पीछे वजह यह है कि जेल में रहते हुए सीएम पर भी वही जेल नियमावली लागू होगी जो अन्य कैदियों के लिए होती है.
मुख्यमंत्री का काम सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर करना नहीं
मुख्यमंत्री के कंधों पर कई काम होते हैं. कैबिनेट की बैठक से लेकर अलग-अलग विभागों की काम काज को देखने के साथ सरकार फाइलें मंगवाने या आदेश देने का काम होता है. मुख्यमंत्री के तौर पर मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक भी करनी होती है. जेल में रहते हुए यह सारी चीजें संभव नहीं है. जेल नियमावली में जेल से सरकार चलाने का कोई प्रावधान नहीं. तिहाड़ जेल के सूत्रों की मुताबिक, जेल मैनुअल के मुताबिक ही अरविंद केजरीवाल के साथ सब कुछ होगा.
अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए केवल पत्र लिख सकते हैं, वह भी नियमित नहीं बल्कि समय समय पर. केजरीवाल को जेल में सरकारी फाइलें मंगवाने या कोई आदेश जारी करने की छूट कैसे मिलेगी, इसके अलावा जेल में कैबिनेट बैठक करना आसान नहीं है. जेल में रहते हुए केजरीवाल को किसी भी व्यक्ति को किसी से मिलने की अनुमति भी जेल नियमावली के अनुरूप हो होगी. ऐसे में सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं. इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है. इसलिए सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने कोर्ट से इजाजत लेने की बात कर रहे हैं. मुख्यमंत्री का काम सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर करना नहीं होता है. मुख्यमंत्री के जिम्मे कई सारे काम होते हैं, जिसमें अधिकारियों से मशवरा करना, कैबिनेट मीटिंग करना और एडवोकेट जनरल से सलाह लेना है. जेल में रहते हुए ये सारे काम संभव नहीं है