मुंबई : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) खर्च घटाने के लिए बड़े शहरों में अपने ATM और ब्रांच के शटर गिरा रहे हैं। दरअसल, शहरी ग्राहक धड़ल्ले से इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकारी बैंकों का कहना है कि इसलिए ब्रांच और ATM जैसे फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को लगाने और उनका रखरखाव करने पर बहुत पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं रह गई है।
खर्च घटाने की कोशिश
देश के शीर्ष 10 सरकारी बैंकों (जिनके पास सबसे अधिक ब्रांच भी हैं) ने कुलमिलाकर 5,500 ATM और 600 ब्रांच पिछले एक साल में बंद किए हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने इन बैंकों के तिमाही नतीजों का विश्लेषण करके यह जानकारी हासिल की है। सरकारी बैंक बैलेंस शीट एक्सपेंडिचर घटाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि बैड लोन और सुस्त लोन ग्रोथ के कारण उनके लिए मुनाफा दर्ज करना मुश्किल हो गया था।
इन बैंकों ने बंद किए ATM, ब्रांच
देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने जून 2018 से 2019 के बीच अब तक 420 ब्रांच और 768 ATM बंद किए हैं। वहीं, विजया और देना बैंक को मिलाने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने कुल 40 ब्रांच और 274 ATM पर इस बीच शटर गिराया है। ब्रांच और ATM की संख्या घटाने वाले अन्य बैंकों में पंजाब नैशनल बैंक (PNB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं।
‘ग्रामीण इलाकों में कटौती नहीं’
इकनॉमिक टाइम्स ने जिन बैंकों का विश्लेषण किया है, उनमें सिर्फ इंडियन बैंक ने ब्रांच और ATM नेटवर्क का विस्तार किया है। शीर्ष 10 में से 9 सरकारी बैंकों ने अपने ATM की संख्या घटाई है और 6 ने ब्रांच की संख्या में कटौती की है।
बैंकरों ने बताया कि ब्रांच और ATM की संख्या खासतौर पर शहरों में घटाई गई है। उन्होंने बताया कि डिजिटल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ पल्लव महापात्रा ने बताया, ‘सरकारी बैंक शहरों में खासतौर पर ब्रांच और ATM की संख्या घटा रहे हैं। ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में इनमें कटौती नहीं की गई है।’