चंडीगढ़ के सेक्टर-37 निवासी एक व्यक्ति का अपहरण कर फर्जी कागजात के जरिए उसकी करोड़ों की कोठी बेचने के आरोप में पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। मामले में चंडीगढ़ निवासी पत्रकार संजीव महाजन और प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। पंजाब-चंडीगढ़ के बड़े शराब कारोबारी अरविंद सिंगला और चंडीगढ़ पुलिस के डीएसपी का भाई सतपाल डागर भी आरोपियों में शामिल हैं।
पुलिस ने मंगलवार को आरोपी संजीव महाजन और मनीष गुप्ता को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को तीन दिन के पुलिस रिमांड भेज दिया गया। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने कोठी मालिक राहुल मेहता की बीमारी का फायदा उठाकर पहले उनसे जान-पहचान बढ़ाई। फिर मारपीट कर कोठी की पहली मंजिल पर कब्जा कर लिया।
खाली कागजात व चेक पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में ले गए और यातनाएं दीं। फिर मानसिक बीमार बताकर भुज (गुजरात) के एक आश्रम में छोड़ आए। मामले की शिकायत पुलिस के पास पहुंची तो तीन अधिकारियों की एक स्पेशल टीम गठित की गई। टीम ने राहुल मेहता को ढूंढ निकाला।
पीड़ित के दर्ज बयान के आधार पर चंडीगढ़ पुलिस ने आरोपी संजीव महाजन, प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता, खलिंदर सिंह कादियान, शराब कारोबारी अरविंद सिंगला, सौरभ गुप्ता, सतपाल डागर, बाउंसर सुरजीत सिंह, शेखर और दलजीत सिंह के खिलाफ अपहरण, यातनाएं, फर्जी कागज तैयार करना, डराना व धमकाने सहित 15 गंभीर धाराओं में सेक्टर- 39 थाने में मामला दर्जकर लिया। बता दें कि बाउंसर सुरजीत की मार्च 2020 में हत्या हो चुकी है।
पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्टर-37 ए स्थित कोठी नंबर 340 में राहुल मेहता रहते हैं। उनके पिता वेद प्रकाश मेहता, मां और भाई मोहित मेहता की मौत हो चुकी है। आरोपियों को पता था कि राहुल अपनी कोठी के अकेले वारिस हैं और बीमार रहते हैं। साल 2017 अप्रैल/मई में पत्रकार संजीव महाजन, सुरजीत बाउंसर, सुखबीर उर्फ बिट्टू जबरन राहुल के घर में घुस गए और कोठी की पहली मंजिल पर कब्जा कर लिया। इस दौरान मारपीट कर उन्हें यातनाएं दी गईं।
साथ ही आरोपी अरविंद सिंगला व खलिंदर सिंह कादियान के पक्ष में एक पावर ऑफ अटार्नी तैयार करवा दी, जिसमें प्रॉपर्टी के स्थानांतरण की शक्तियां भी दी गई थीं। उसके बाद आरोपियों ने चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस के सब रजिस्ट्रार के सामने फर्जी राहुल मेहता नाम के व्यक्ति को खड़ा कर प्रॉपर्टी सौरव गुप्ता के नाम पर करा दी। पुलिस ने जांच में पाया कि जिस दिन प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई थी, उस दिन राहुल चंडीगढ़ में नहीं थे। पुलिस ने इस बारे में दस्तावेज भी पेश किए हैं।
कोठी मालिक को भुज के आश्रम में ले गए
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि आरोपियों ने जब कोठी मालिक राहुल मेहता से सभी कागजात पर हस्ताक्षर करवा लिए तो उन्हें गुजरात के एक फार्म हाउस में ले गए। एक महीने तक वहां रखा। फार्म हाउस में रहने वाले अब्दुल करीम ने बाद में उन्हें भुज स्थित रामदेव सेवा आश्रम में दाखिल करा दिया। इस दौरान संजीव महाजन का बाउंसर दोस्त सुरजीत भी साथ था।
सुरजीत ने राहुल को अपनी मौसी का लड़का बताया था और कहा था कि वह मानसिक रूप से बीमार है। साथ ही यह भी कहा था कि चंडीगढ़ में उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है, इसलिए उसे कुछ दिन के लिए आश्रम में रख लें। दो से तीन महीने बाद वह उन्हें लेने आ जाएगा। लेकिन इसके बाद वह गया ही नहीं। आश्रम की देशभर में कई शाखाएं हैं। आश्रम प्रबंधन अपने मरीजों को देश की अलग-अलग शाखाओं में शिफ्ट करता रहता है। इस दौरान राहुल मेहता दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान के आश्रम में भी रहे।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
पुलिस ने बताया कि कोठी में किराए पर रहने वाले प्रदीप रतन ने साल 2017 में शिकायत दी थी कि राहुल मेहता गायब हैं और उन्हें शक है कि इस मामले में आरोपी संजीव महाजन व अन्य लोगों का हाथ हो सकता है। पुलिस के तत्कालीन अफसरों ने शिकायत दबा दी। उसके बाद दिसंबर 2020 में दोबारा प्रदीप रतन ने पुलिस को शिकायत दी।
चंडीगढ़ पुलिस के एसएसपी कुलदीप चहल ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के लिए एएसपी साउथ श्रुति अरोड़ा के नेतृत्व में एक टीम गठित की। जांच के दौरान पत्रकार संजीव महाजन से जब राहुल के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि वह दिल्ली के आश्रम में हैं। इसके बाद पुलिस दिल्ली स्थित आश्रम पहुंची और जांच को आगे बढ़ाया। दो महीने की जांच में पुलिस ने राहुल मेहता को खोज निकाला और उनके बयान के आधार पर यह कार्रवाई की।
एसएसपी बोले- निष्पक्ष जांच की जाएगी
एसएसपी कुलदीप चहल ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है। इससे जुड़े सारे तथ्य तलाशे जा रहे हैं। सच्चाई सबके सामने लाई जाएगी। दोषी को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस संजीदगी से केस की पड़ताल में जुटी है।