नई दिल्ली: स्पाईवेयर पेगासस (Pegasus spyware) के जरिए जासूसी का मुद्दा संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन दोनों सदनों में गूंजा और इस पर खूब हंगामा भी हुआ. सरकार की तरफ से इस मामले पर बोलते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि संसद के मानसून सत्र से पहले जासूसी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है और संसद के सत्र से ठीक एक दिन पहले ये रिपोर्ट आना कोई संयोग नहीं है. उन्होंने कहा कि जब नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
उधर कांग्रेस ने इस पूरे मामले में जांच कराए जाने की मांग की है. कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके कई प्रमुख व्यक्तियों एवं पत्रकारों का कथित पर फोन टैप किए जाने के मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस मामले को लेकर कटाक्ष भी किया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम जानते हैं कि वह आपके फोन में सबकुछ पढ़ रहे हैं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान जबरन विपक्ष के उग्र विरोध और नारे लगाने के लिए लोकसभा को संबोधित करते हुए वैष्णव ने कहा कि “इस सनसनीखेज” दावे के पीछे कोई आधार नहीं है, और यह कि “सभी चीजें अपनी जगह दुरुस्त हैं और अवैध निगरानी संभव नहीं है.”
वैष्णव ने कहा, ‘बीती रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद संवेदनशील स्टोरी पब्लिश की गई. इस स्टोरी के आधार पर कई बड़े आरोप लगाए गए. यह रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र से ठीक एक दिन पहले आई. यह कोई संयोग नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा, ‘पहले भी पेगासस के जरिए व्हाट्सऐप की निगरानी के ऐसे ही दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सभी पक्षों द्वारा इसे नकार दिया गया था. 18 जुलाई की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसके स्थापित संस्थानों की छवि को खराब करने का प्रयास प्रतीत होती है.’
वैष्णव ने कहा कि ये रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की एक कोशिश है.