प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 11 नवंबर को तमिलनाडु जाएंगे. वो यहां डिंडीगुल में गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे. वो दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे. इसमें 2018-19 और 2019-20 बैच के 2300 से अधिक छात्र डिग्री प्राप्त करेंगे. पीएम मोदी ने कई मौकों पर तमिल संस्कृति का जमकर प्रचार किया है और इसका खूब बखान किया है. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों मंचों पर भारत की गौरवशाली विरासत और समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया है. इस प्रयास में उनका फोकस तमिल की विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देना भी रहा है.
प्रधानमंत्री ने इस साल जनवरी में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल के नए कैंपस का उद्घाटन किया. यह भारतीय विरासत की रक्षा और उसके संरक्षण, साथ ही शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उनके विजन के अनुरूप था.
थिरुक्कुरल का गुजराती अनुवाद जारी किया
वहीं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में तमिल अध्ययन पर ‘सुब्रमण्यम भारती चेयर’ की स्थापना की गई. ये पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित है. उन्हें तमिल क्लासिक ‘थिरुक्कुरल’ विशेष रूप से पसंद है. वो कई मौकों पर युवाओं से थिरुक्कुरल पढ़ने का आग्रह कर चुके हैं. कुछ साल पहले उन्होंने थिरुक्कुरल का गुजराती अनुवाद भी जारी किया था.
इतना ही नहीं 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने मानवता और स्वीकृति के भारत के विश्वासों को उजागर करने के लिए भारतीय दार्शनिक कनियन पुंगुंद्रनार के 3000 साल पुराने तमिल कोट्स को पढ़ा.
जापान के पूर्व प्रधानमंत्रियों को दिया तोहफा
इस साल मई में टोक्यो में प्रधानमंत्री ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्रियों को पट्टुमदाई सिल्क मैट तोहफे में दिए. तिरुनेलवेली जिले में पट्टामदई एक छोटा सा गांव है. यहां तमिरापरानी नदी के किनारे कोरई घास उगाई जाती है, इसी से उत्कृष्ट रेशम की चटाई बुनाई की जाती है.
इतना ही नहीं पीएम मोदी ने इसी साल चेन्नई में 44वें शतरंज ओलंपियाड का उद्घाटन किया. अपने भाषण में उन्होंने शतरंज और राज्य के संबंध पर प्रकाश डाला. पीएम मोदी ने कहा कि तमिलनाडु को भारत का शतरंज पावरहाउस कहा जाता है. प्रधानमंत्री तमिल संस्कृति को बढ़ावा देने और इसकी समृद्ध विरासत के बारे में जागरूकता फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.