भारत के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को हुई थी, जबकि रूस के लूना-25 की लॉन्चिंग 11 अगस्त को होनी है. चंद्रयान को चांद की कक्षा में 5 अगस्त को पहुंचा, जिसे चांद की कक्षा में पहुंचने में 22 दिन लगे जबकि लूना 25 के बारे में कहा जा रहा है कि वो लॉन्चिंग के 5 दिन बाद यानी 16 अगस्त को मून की ऑर्बिट में पहुंच जाएगा.
चांद की कक्षा में जाने के 18 दिन बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की जाएगी, जबकि चांद की कक्षा में 5-7 दिन रहने के बाद 23 अगस्त को या फिर उससे पहले लूना-25 की भी चांद पर लैंडिंग हो सकती है.
रूस का लूना-25
रूस का लूना-25 एक रोबोटिक चंद्र लैंडर मिशन है, जो वोस्तोचन कोस्मोड्रोम से लॉन्च होने वाला है. यह 1976 के बाद रूस द्वारा लॉन्च किया जाने वाला पहला रोबोटिक चंद्र लैंडर है. इस मिशन का नेतृत्व रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस कर रही है. लूना-25 लैंडर चंद्रमा की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरण ले जाएगा.
- चंद्रमा की सतह की ऊंचाई मापने के लिए एक लेज़र अल्टीमीटर
- चंद्र सतह की संरचना का अध्ययन करने के लिए एक गामा-किरण स्पेक्ट्रोमीटर
- चंद्रमा के वातावरण में धूल का अध्ययन करने के लिए एक धूल डिटेक्टर
- दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में उतरेगा लूना-25 लैंडर
- लूना-25 लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में उतरेगा, जो एक ऐसा क्षेत्र है जिसे पिछले मिशनों द्वारा अच्छी तरह से खोजा नहीं गया है. यह मिशन लगभग एक वर्ष तक चलने की उम्मीद है. लूना-25 मिशन रूस के लूना-ग्लोब कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर लैंडर और रोवर्स की एक श्रृंखला भेजना है. कार्यक्रम में एक नमूना वापसी मिशन भी शामिल होने की उम्मीद है.
महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज की उम्मीद
लूना-25 मिशन रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह लगभग 50 वर्षों में पहला रूसी चंद्र लैंडर है और यह चंद्र अन्वेषण में रूस के नेतृत्व को बहाल करने में मदद करेगा. इस मिशन से चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज होने की भी उम्मीद है.
अंतरिक्ष में दबदबा कायम करने की कोशिश
इस मिशन के जरिए रूस अंतरिक्ष में अपना दबदबा कायम करना चाहता है. वो दुनिया को दिखाना चाहता है कि स्पेस में अभी भी उसका कोई मुकाबला नहीं है. हालांकि भारत के चंद्रयान से मुकाबले की बात रूस की तरफ से नहीं की गई है, लेकिन दुनिया भर की निगाहें दोनों देशों के मून मिशन पर लगी हैं, क्योंकि दोनों की लैडिंग का वक्त एक ही हो सकता है. इसलिए नजरें टिकी हैं कि 23 अगस्त को कौन पहले चांद पर उतरेगा, भारत का चंद्रयान-3 या फिर रूस का लूना-25.