सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है. अपने देश के लोग इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानते हैं. अब उत्तर प्रदेश में इस पक्षी को लेकर सियासत होने लग गई.समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को सारस को यूपी की सियासत का पक्षी बना दिया. उन्होंने जनसरोकार से जुड़े जनता के तमाम मुद्दों को छोड़कर अमेठी निवासी आरिफ के साथ रहने वाले सारस को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने कब्जे में लिए जाने को लेकर योगी सरकार पर हमला बोल दिया.
अखिलेश यादव ने कहा कि वन विभाग के अफसरों ने आरि के पास से जबरदस्ती सारस को ले लिया और उसे समसपुर पक्षी बिहार में छोड़ दिया. अब सारस लापता हो गया, सरकार उसे तत्काल खोजे. अखिलेश ने यह भी कहा कि कुछ दिन पहले वह आरिफ और उसके सारस से मिलने गए थे, इसलिए वन विभाग सारस को ले गया है.
इसलिए आरिफ से लिए गया सारस
सारस को लेकर योगी सरकार पर अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए इस आरोप को लेकर यूपी के वनधिकारी हतप्रभ हैं. उनका कहना है कि यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके और इटावा में लायन सफारी की स्थापना करने वाले अखिलेश यादव को ऐसे गैरजरूरी बयान नहीं देना चाहिए था.और ना ही सारस के जरिए उन्हे सियासत करनी चाहिए थी. वन विभाग के अफसरों का कहना है कि सारस यूपी का राज्य पक्षी है, उसे ना तो कोई पाल सकता है और ना ही उसे कैद कर सकता है.अमेठी के आरि ने भी सारस को कैद नहीं किया था. उसके सारस की जान बचाई थी तब से सारस आरि के घर आता जाता था. आरि ने उसके साथ खाते पीते हुए तमाम वीडियो बनाकर उन्हे वायरल किए. जिन्हे देखने के बाद डीएफओ अमेठी डीएन सिंह ने पाया कि सारस को आरि ने पालतू बना लिया है.
इस आधार पर उन्होने अपने उच्चाधिकारियों को इस बारे में पत्र लिखा और सारस को समसपुर पक्षी विहार में छोड़ने की अनुमति मागी. इस संबंध में अनुमति मिलने पर 21 मार्च को आरि के पास से सारस को लेकर समसपुर पक्षी विहार छोड़ा गया. वैसी भी दुर्लभ पक्षियों के संरक्षण के लिए बनाएं पक्षी विहार का उद्देश्य पक्षियों को कैद करना या किसी से जुदा करना नहीं होता. समसपुर पक्षी विहार में छोड़ा गया सारस कहीं भी आ जा सकता हैं. डीएफओ डीएन सिंह का कहना है कि समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट किया गया सारस वन कर्मियों की निगरानी में है.
वैश्विक स्तर पर सारस की संख्या में कमी
उत्तर प्रदेश में सारस की संख्या भले ही बढ़ रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी संख्या में हो रही कमी को देखते हुए प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) द्वारा इसे संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया गया है. मलेशिया, फिलीपींस और थाइलैंड में सारस पक्षी की यह जाति पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है. भारत में भी कथित रूप से विकसित स्थानों में से अधिकांश स्थानों पर सारस पक्षी लुप्तप्राय हो चुके हैं.
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार यूपी में 17,665 सारस हैं. देश और प्रदेश में लोग सारस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानते हैं. यह पक्षी अपने जीवन काल में मात्र एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद सारस युगल पूरे जीवन भर साथ रहते हैं. यदि किसी कारण से एक साथी की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा बहुत सुस्त होकर खाना पीना बंद कर देता है जिससे उसकी भी मृत्यु हो जाती है. इस मान्यता के कारण इसे एक अच्छी सामाजिक स्थिति प्राप्त है.
‘सपा नेताओं के रुख से सहमत नहीं’
वनाधिकारियों के इस कथन के बाद भी सपा नेता सारस को लेकर योगी सरकार पर आरोप लगा रहे है. अखिलेश के नजदीकी उदयवीर सिंह कहते है कि सपा मुखिया जिस किसी से मिलते है, योगी सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर देती है. अगर अखिलेश जेल में बंद पार्टी विधायक से मिलने भी जाते हैं तो योगी सरकार विधायक की जेल बदल देती है. अब आरि के साथ भी यही हुआ. आरिफ और उसके सारस से मिलने गए थे, इसलिए वन विभाग के अफसरों से आरिफ़ के पास से सारस को जुदा कर दिया. सपा नेताओं के इस रुख को लखनऊ के सीनियर पत्रकार कुमार भावेश और रतनमणि लाल उचित नहीं मानते हैं.
रतनमणि के अनुसार, अखिलेश यादव अब योगी सरकार को घेरने के लिए हर तरफ के गलत-सही मुद्दे उठाने में जुट गए हैं, ताकि मीडिया की सुर्ख़ियो में बने रहे. यही वजह है कि उन्होने सारस के प्रकरण को उठाते हुए राजनीति शुरू की. जबकि उन्हे पता होना चाहिए था कि कानून के हिसाब से सारस को पाला नहीं जा सकता. हाथी, शेर, हिरण को पाला नहीं जा सकता है. जो ऐसा कर रहा हो उसका पक्ष नहीं लेना चाहिए.
‘सारस पर राजनीति कर रहे अखिलेश’
आप एक दो दिन खेत और घर के लान में आने वाले मोर और सारस को खाना दे सकते हैं लेकिन उसको पाल नहीं सकते. आरिफ ने तो सारस को पाल ही लिया था, खुद अमेठी जाकर अखिलेश ने यह देखा था. तब उन्हे इसका विरोध करना चाहिए था, लेकिन उन्होने यह नहीं किया और अब सारस को लेकर राजनीति कर रहे है. कल को यूपी के हर जिले में लोग सारस, सांप या भालू अथवा हिरण पालने लगे तो उसे कैसे रोका जाएगा? इसलिए ऐसे मुद्दों में उलझने के बजाए अखिलेश सड़क, शिक्षा, इलाज, पानी और बिजली जैसे जनहित के मुद्दो पर राजनीति करें, सोशल मीडिया पर चर्चा के लिए सारस जैसे प्रकरणों से बचे.
सारस जैसे प्रकरणों को उठाने से अखिलेश की छवि गंभीर नेता की नहीं बनेगी. भावेश यह भी कहते हैं वन विभाग के अफसरों को भी ऐसे मामलों में अपना पक्ष मीडिया में रखते हुए कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसीलिए यह प्रकरण सोशल मीडिया में तूल पकड़ने में सफल हुआ और सारस यूपी की सियासत का पक्षी बन गया..