केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शनिवार को जगदलपुर में सीआरपीएफ दिवस मनाने के बाद सीधे नक्सलियों के गढ़ सुकमा जिले के पोटकपल्ली बेस कैंप पहुंचे. अमित शाह देश के पहले गृहमंत्री हैं, जो इतना सुदूर और घोर नक्सली क्षेत्र में जाकर घंटों बिताए. उन्होंने पोटकपल्ली सीआरपीएफ कैंप में अधिकारियों और वहां तैनात सीआरपीएफ के जवानों के साथ लंबी बैठक की बारीकी से वहां की परेशानियों और समाज में आ रहे बदलाव को समझा खासकर राशन कार्ड और मुफ्त मिलने वाले अनाज की जानकारी ली.
मीटिंग के बाद गृहमंत्री ने पोटकपल्ली बेस कैंप में दिए जा रहे फैसिलिटी को ठीक से समझने का प्रयास किया. घायल जवानों के लिए बनाए गए बेस कैंप के प्राथमिक उपचार केंद्र का निरीक्षण किया. पोटकपल्ली सीआरपीएफ बेस कैंप के निरीक्षण के बाद गृह मंत्री बगल में ही बने हुए आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र, राशन और मुफ्त राशन वितरण की दुकान का भ्रमण किया. आंगनबाड़ी केंद्र अचानक पहुंचे वित्त मंत्री ने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आनंद के पल बिताए और उन्हें एक एक बिस्किट का पैकेट उपहार स्वरूप दीया.
400-500 मीटर चले पैदल
कुछ बच्चों से एबीसीडी और उनके अभिभावकों से बच्चों को मिल रहे मिड डे मील के विषय में जानकारी ली. इस भीषण नक्सल प्रभावित क्षेत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने 400/500 मीटर पैदल चलकर आंगनबाड़ी केंद्र से स्वस्थ केंद्र तक गए. हालांकि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे लेकिन घोर नक्सली बेल्ट में गृहमंत्री निर्भीक और पैदल चलकर नक्सलियों और उनके आकाओं को संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि अब इस इलाके में खौफ का साया हटने लगा है.
जब अमित शाह ने पूछा नक्सली परेशान तो नहीं करते…
फेयर प्राइस शॉप यानी पीडीएस केंद्र से निकलते हुए गृहमंत्री ने सड़क पर खड़े एक सीआरपीएफ जवान के तरफ अपने सहयोगियों को इशारा करके बुलवाया. यह जवान सीआरपीएफ के बस्तरिया रेजिमेंट का नवनियुक्त सिपाही निकला. जैसे उसको इशारा हुआ कि गृहमंत्री ने बुलाया है वैसे ही वह पहले तो सकपकाया लेकिन फिर भागकर पहुंचा. गृहमंत्री ने उससे पूछा कि तुम लोकल बस्तरिया यूनिट में नए हो, कितने दिनों से काम कर रहे हो, जॉइनिंग से पहले क्या करते थे. उसने बताया वह जॉइनिंग से पहले गांव में रहता था. फिर गृहमंत्री ने उससे पूछा कि नक्सली परेशान करते हैं तो उसने कहा पहले करते थे लेकिन अब उतना नहीं.
शाह ने जवानों से कहा- आप लोगों पर बड़ी जिम्मेवारी
गृहमंत्री ने उस जवान से कहा कि देखो यहां के आदिवासियों को रक्षा करना है और उनको दिक्कत ना हो उसका पूरा ख्याल करना है. फिर गृह मंत्री अमित शाह वहां के कैंट में काम कर रहे सीआरपीएफ के जवानों और अधिकारियों के समूह के साथ मिले और और उन अधिकारियों और जवानों से कहा कि आप लोगों पर बड़ी जिम्मेवारी है. एक तरफ नक्सली उग्रवादियों से लड़ाई भी लड़नी है और दूसरी तरफ स्थानीय लोगों के लिए सेतु का काम भी करना है, जिससे विश्वास बहाली मजबूत हो सके.
कुछ महीने पहले बनकर तैयार हुआ पोटकपल्ली कैंप
दरअसल, सीआरपीएफ पोटकपल्ली कैंप कुछ महीने पहले बनकर तैयार हुआ है. इस कैंप को नहीं बनने देने का चैलेंज नक्सलियों ने दिया था और उन्होंने इस कैंप को नहीं बनने देने के लिए कई बार सीआरपीएफ को सीधी चुनौती भी दी. पिछले 1 साल में इस कैंप पर नक्सलियों ने करीब 10 बार धावा भी बोला है लेकिन हरबार उन्हे मुंह की खानी पड़ी है. पोटकपल्ली सीआरपीएफ कैंप छत्तीसगढ़ के सबसे सुदूरवर्ती और डीप इलाकों में शुमार है. यहां से 40 किलोमीटर बाद तेलंगाना का सीमा शुरू हो जाता है.
इससे जुड़ा तेलंगाना के बीजापुर में भी नक्सलियों का जबरदस्त प्रभाव है. कुछ महीनों पहले तक नक्सलियों की तूती बोलती थी और इस इलाके को इन लोगों ने स्वतंत्र इलाका घोषित कर रखा था.. लेकिन अब इन इलाकों से नक्सलियों का असर पूरी तरीके से खात्म होने के कगार पर है. गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर जो नक्सल विरोधी ऑपरेशन चलाया जा रहा है उससे सड़के बनाई जा रही हैं, उद्योग लगाए जा रहे हैं जिससे लोगों को रोजगार के साधन मिले हैं यहां पर विकास का रास्ता खुला है.
कभी बस्तर रीजन नक्सलियों का गढ़ था
कभी बस्तर रीजन नक्सलियों का गढ़ था, जिसके चार प्रमुख केन्द्र थे. बीजापुर, सुकमा, दांतेवाड़ा और बस्तर. जगदलपुर इस रीजन का हेडक्वार्टर था. नक्सलियों की प्रमुख समिति दंडकारण्य जोनल समीति भी इसी बस्तर रीजन में सक्रिय था और हिडमा समेत नक्सलियों के शीर्ष नेता अब भी यहां मौजूद हैं लेकिन जहां तक उनके प्रभाव की बात है तो आज की तारीख में ये पूरी तरीके से खत्म होता दिखाई दे रहा है.
करणपुर सीआरपीएफ कोबरा हेडक्वार्टर जहां गृहमंत्री अमित शाह जवानों को संबोधित करेंगे वो इस बात का गवाह है कि हमारे देश के जवानों के बलिदान से देश के सबसे बड़ी आंतरिक फोर्स अपना रीजनल हेडक्वार्टर स्थापित करने में कामयाब हो गई है.
इसकी वजह से बड़ी तादात में सीआरपीएफ अंदरूनी इलाकों में अपने फारवर्ड बेस यानि नए कैंप भी स्थापित कर रही है जहां कुछ महीनों पहले ही नक्सली प्रमुखता से अपनी गतिविधियां चलाते थे. पिछले डेढ़ साल की बात करें तो इस अवधि में सीआरपीएफ ने अपने 18 फारवर्ड बेस स्थापित किए हैं, जहां आजादी के बाद पहली बार देश की कोई फोर्स घुस पाई थी.